बेटियाॅ फूल जैसी होती हैं
खूब खिलती हैं मुस्कुराती हैं
घर आॅगन में को महकाती हैं
और एक दिन खूशबू की तरह आॅगन से उङ जाती हैं
बेटियाॅ तितली की तरह होती हैं
खुब रंगीनियाॅ बहाती हैं
इनके रंगों से घर में रोनक है
इनके उङने से घर में मस्ती है
फिर भी कैसी इनकी हस्ती है
खुद की बगिया को छोङकर
दूसरे घर को जाती हैं
मंङराती हैं इठलाती हैं
उसी की चाह में जिन्दगी
अपनी हर खुशी दर्द
भूला देती हैं
बेटियाॅ देवी की तरह होती हैं
लक्ष्मी भी यही हैं
सीता मरियम की तरह
पाक और पवित्र पूजनीय हैं
ये हमारी संस्कृति की शान हैं
ये विङम्बना है की आज
इन्हीं का पेट में कत्ल हो रहा है
स्वार्थ में जन्मदाता अंधा हो रहा है
ऐ मेरे खुदा मेरे भगवान
इन कातिलों को दो सद्ज्ञान
ये न बनें कभी हैवान
बेटियाँ ना करें कभी कुर्बान
महेन्द्र साहिल
खूब खिलती हैं मुस्कुराती हैं
घर आॅगन में को महकाती हैं
और एक दिन खूशबू की तरह आॅगन से उङ जाती हैं
बेटियाॅ तितली की तरह होती हैं
खुब रंगीनियाॅ बहाती हैं
इनके रंगों से घर में रोनक है
इनके उङने से घर में मस्ती है
फिर भी कैसी इनकी हस्ती है
खुद की बगिया को छोङकर
दूसरे घर को जाती हैं
मंङराती हैं इठलाती हैं
उसी की चाह में जिन्दगी
अपनी हर खुशी दर्द
भूला देती हैं
बेटियाॅ देवी की तरह होती हैं
लक्ष्मी भी यही हैं
सीता मरियम की तरह
पाक और पवित्र पूजनीय हैं
ये हमारी संस्कृति की शान हैं
ये विङम्बना है की आज
इन्हीं का पेट में कत्ल हो रहा है
स्वार्थ में जन्मदाता अंधा हो रहा है
ऐ मेरे खुदा मेरे भगवान
इन कातिलों को दो सद्ज्ञान
ये न बनें कभी हैवान
बेटियाँ ना करें कभी कुर्बान
महेन्द्र साहिल
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