तुम्हारी याद में मैने समय रो रो के काटा है,
कभी अपनों से दुख को तो कभी गैरो से बॉटा है,
सुबह से शाम तक तेरी याद में खोए रहती हूँ
कभी आयेगा तू आशा के बीज बोए रहती हूँ ।
तेरे दीदार को अॉखे अब तो भीगी ही रहती हैं
कभी नहरो कभी दरिया कभी सागर सी बहती हैं
गजब ये दर्द कैसा है जो हर सीने में उठता है,
अजब ये रोग कैसा है जो हर दिल में पनपता है ।
हमारा प्यार सच्चा है हमारा दिल ये कहता है,
तभी तो दिल हमारा तुमपे सब कुर्वान करता है,
कैसे बयॉ कर दूँ मैं अपने प्यार का किस्सा,
जमाना रोगी है जिसको जमान-ए प्यार कहता है
--- बाल कवियत्री -एकता भारती (लिटिल एकता )..
कभी अपनों से दुख को तो कभी गैरो से बॉटा है,
सुबह से शाम तक तेरी याद में खोए रहती हूँ
कभी आयेगा तू आशा के बीज बोए रहती हूँ ।
तेरे दीदार को अॉखे अब तो भीगी ही रहती हैं
कभी नहरो कभी दरिया कभी सागर सी बहती हैं
गजब ये दर्द कैसा है जो हर सीने में उठता है,
अजब ये रोग कैसा है जो हर दिल में पनपता है ।
हमारा प्यार सच्चा है हमारा दिल ये कहता है,
तभी तो दिल हमारा तुमपे सब कुर्वान करता है,
कैसे बयॉ कर दूँ मैं अपने प्यार का किस्सा,
जमाना रोगी है जिसको जमान-ए प्यार कहता है
--- बाल कवियत्री -एकता भारती (लिटिल एकता )..
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