नज्म पेशेनजर है--
कौन है शंकर की तरह जहर पीता है ।
दूसरों को विष पिला चैन से जीता है ।
उलझा फिरता है क्यों मोह-माया में ,
मत बताओ मेरा जीवन कैसे बीता है।
अराम कर लेने दे थोड़ी देर मुसाफ़िर,
लिये बैठा हूॅ नज्म वक्त कहाॅ रीता है।
कैंची चलती रहती हैं बिन पैमाने के,
फिर क्यूं भूली तूं मेरे हाथ में फीता है।
न बांट हमें कि हिंदू हैं वो मुसलमां है,
बालाजी अम्न बांटती कुरान गीता है।
----------शायर बाला प्रसाद बालाजी
कौन है शंकर की तरह जहर पीता है ।
दूसरों को विष पिला चैन से जीता है ।
उलझा फिरता है क्यों मोह-माया में ,
मत बताओ मेरा जीवन कैसे बीता है।
अराम कर लेने दे थोड़ी देर मुसाफ़िर,
लिये बैठा हूॅ नज्म वक्त कहाॅ रीता है।
कैंची चलती रहती हैं बिन पैमाने के,
फिर क्यूं भूली तूं मेरे हाथ में फीता है।
न बांट हमें कि हिंदू हैं वो मुसलमां है,
बालाजी अम्न बांटती कुरान गीता है।
----------शायर बाला प्रसाद बालाजी
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