ये जग एक तमाशा है
सबका भाग जरा सा है
चक्र एक पूरा कर ले
तब क्रम दूसरा आता है
ये जग एक तमाशा है।
मात-पिता संवाहक हैं
भाई बहन सहायक हैं
लेकर शिक्षा बन जाता
कर्म क्षेत्र संचालक है
नपातुला ही मिलता है
उतना भाग निभाता है
ये जग एक तमाशा है।
रिश्तों की उलझी बुन है
अपनी अपनी ही धुन है
चादर पड़ जाती छोटी
चार मनें एक बे-मन है
नित घटती बढ़ती रहती
आशा और निराशा है
ये जग एक तमाशा है।
चालाकी से बढ़ तो जाये
कब पता कहाँ ठोकर खाये
जब घात करे विश्वास-संग
मन कचोटता फिर पछताये
अंश कोण निज आँखों के
दर्पण तो साँच दिखाता है
ये जग एक तमाशा है।
©अमर अद्वितीय
काव्य रचना-1492
22 फरवरी 2017
सबका भाग जरा सा है
चक्र एक पूरा कर ले
तब क्रम दूसरा आता है
ये जग एक तमाशा है।
मात-पिता संवाहक हैं
भाई बहन सहायक हैं
लेकर शिक्षा बन जाता
कर्म क्षेत्र संचालक है
नपातुला ही मिलता है
उतना भाग निभाता है
ये जग एक तमाशा है।
रिश्तों की उलझी बुन है
अपनी अपनी ही धुन है
चादर पड़ जाती छोटी
चार मनें एक बे-मन है
नित घटती बढ़ती रहती
आशा और निराशा है
ये जग एक तमाशा है।
चालाकी से बढ़ तो जाये
कब पता कहाँ ठोकर खाये
जब घात करे विश्वास-संग
मन कचोटता फिर पछताये
अंश कोण निज आँखों के
दर्पण तो साँच दिखाता है
ये जग एक तमाशा है।
©अमर अद्वितीय
काव्य रचना-1492
22 फरवरी 2017
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