सच को सच कहने से डरते,
फिर ये कलम चलाते क्यों
मानवता नहीं अच्छी लगती,
झूठा प्यार दिखाते क्यों
लाखों फिरते भूखे नंगे,
कुछ के हैं भंडार भरे
समता ममता की सब बातें,
हृदय में नहीं लाते क्यों !!
~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
फिर ये कलम चलाते क्यों
मानवता नहीं अच्छी लगती,
झूठा प्यार दिखाते क्यों
लाखों फिरते भूखे नंगे,
कुछ के हैं भंडार भरे
समता ममता की सब बातें,
हृदय में नहीं लाते क्यों !!
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मुरारि पचलंगिया
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