तकिये के निचे रखे
वो गुलाब के फूल
जिससे मेरा कमरा
महका महका सा रहता है
मेरे शर्ट पे तुम्हारे
ज़ुल्फो के बाल
चिपके चिपके से मिलते है
जब नहाने जाओ तो
देखना कभी गौर से
साबुन की टिकिया पे
तेरा हुस्न ऐ रूकसार
गिरा रहता है
इन खुले बालों से
एक भीगी ज़ुल्फ़
तेरे लब पे आकर
बैठ जाती है
तेरे निचे के होंठ पे
एक काला सा दिखने
वाला एक तिल
तुम्हे सबसे
हसीन बनाता है
ये सुरमयी आँखों
शर्म से ऐसे
झुक जाती है जैसे
चाँद शरमा के
छुप गया हो बादलों में
तेरे माथे पे एक
गोल सी बिंदी
जैसे चाँद को लाकर
माथे पे बैठा दिया हो
तेरे कमर पे बंधी
चाबियों का गुच्छा
ऐसे खनकता रहता है
जैसे तेरी पायल खनकती है..
~~~~~~~
माज़िद ख़ान ग़ौरी
वो गुलाब के फूल
जिससे मेरा कमरा
महका महका सा रहता है
मेरे शर्ट पे तुम्हारे
ज़ुल्फो के बाल
चिपके चिपके से मिलते है
जब नहाने जाओ तो
देखना कभी गौर से
साबुन की टिकिया पे
तेरा हुस्न ऐ रूकसार
गिरा रहता है
इन खुले बालों से
एक भीगी ज़ुल्फ़
तेरे लब पे आकर
बैठ जाती है
तेरे निचे के होंठ पे
एक काला सा दिखने
वाला एक तिल
तुम्हे सबसे
हसीन बनाता है
ये सुरमयी आँखों
शर्म से ऐसे
झुक जाती है जैसे
चाँद शरमा के
छुप गया हो बादलों में
तेरे माथे पे एक
गोल सी बिंदी
जैसे चाँद को लाकर
माथे पे बैठा दिया हो
तेरे कमर पे बंधी
चाबियों का गुच्छा
ऐसे खनकता रहता है
जैसे तेरी पायल खनकती है..
~~~~~~~
माज़िद ख़ान ग़ौरी
वक़्त था गवाह
ReplyDeleteमेरी मोहब्बत का
गवाह् है चाँद सितारे
मेरी वफ़ाओं के
वो किस्से मेरी मोहब्बत के
याद तो करोगे ना
आँखें नम करोगे ना
जिस तरह से
मेरी आँखे भीग जाती है
तुझे याद करके
अपने हर हसीन पल
दिए तुमको
अपने हर एहसास
मेरा हर जज्बात
मेरा वजूद तुमसे था
मोहब्बत थी तुमसे
जान से बढ़कर चाह
तो तुमको
हर मोड़ पे हर रास्ते पे
तेरा इंतज़ार किया हमने
हमें मिला क्या
सिवाय दर्द के
सिवाय बेरूखी के
तेरा मुझको यूँ छोड़ के जाना
ना जाने किस खता की सजा थी
मार दिया होता हमें
मेरे जज्बात को
मेरे एहसास के
ना जाने क्यों तेरा इंतज़ार
करता हूँ आज भी
इसी मोड़ पे उसी रास्ते पे..
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*माज़िद ख़ान ग़ौरी*
http://sahitaysewamanch.blogspot.com/2017/03/blog-post_82.html swagat hai aapka bhai
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