माघ पूर्णिमा चाँद गगन में
और बगल तुम बैठी हो
खूबसूरत ऐसी तुम लगती
रजत खाट पर लेटी हो ।
देख रहा हूँ कबसे मैं तुमको
चाँद भी चूना लगता है
बढ़ा हाथ छू लूँ मैं तुमको
बाकि सब सुना लगता है ।
बहती है जब हवा वसंती
बौरा मन मेरा जाता है
नयन नशीला कदम-कदम पर
मन को हुलसा जाता है ।
ऋतु हेमंत से मुक्ति पाकर
नई ताजगी तन में आई
फूलों की खुश्बू उपवन की
भी फीकी लगी, नहीं सुहाई ।
मन-मिजाज और नवयौवन
तुम्हें देख मुस्काता है
तुम दीप बन मेरे घर आई
देख मन हर्षित हो जाता है ।
प्रस्तुतकर्ता
🙏
राम निवास कुमार
मुज़फ्फरपुर ।
94 700 27048
सभी पत्नीभक्तों से आग्रह है कि वे पत्नी के सम्मान में पंक्तियाँ पढ़कर शेयर करने का कष्ट करें।🌹
और बगल तुम बैठी हो
खूबसूरत ऐसी तुम लगती
रजत खाट पर लेटी हो ।
देख रहा हूँ कबसे मैं तुमको
चाँद भी चूना लगता है
बढ़ा हाथ छू लूँ मैं तुमको
बाकि सब सुना लगता है ।
बहती है जब हवा वसंती
बौरा मन मेरा जाता है
नयन नशीला कदम-कदम पर
मन को हुलसा जाता है ।
ऋतु हेमंत से मुक्ति पाकर
नई ताजगी तन में आई
फूलों की खुश्बू उपवन की
भी फीकी लगी, नहीं सुहाई ।
मन-मिजाज और नवयौवन
तुम्हें देख मुस्काता है
तुम दीप बन मेरे घर आई
देख मन हर्षित हो जाता है ।
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राम निवास कुमार
मुज़फ्फरपुर ।
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