खिला इक फूल सा हूं मैं तेरा दिल मेरा उपवन है.
तेरे नयनों के सागर में मेरे चेहरे का दर्पन है.
मैं आंखें मूंद कर यूं ही बिरह में रोज सोता हूं,
कभी ख्वाबों में तू आये वहीं पतझड़ में सावन है.
Kumar Sachin
9455008700
तेरे नयनों के सागर में मेरे चेहरे का दर्पन है.
मैं आंखें मूंद कर यूं ही बिरह में रोज सोता हूं,
कभी ख्वाबों में तू आये वहीं पतझड़ में सावन है.
Kumar Sachin
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