***** मुक्तक ******
किसी की याद में आँसू , अभी तक हम बहाते हैं |
भुलाना लाख चाहा पर , भुला उसको न पाते हैं |
किताबों के गुलाबों में , महक ताजी मुझे लगती ,
उसे ही देखकर "तन्हा" ,सभी गम भूल जाते हैं ||
**** कवि विजय तन्हा ****
किसी की याद में आँसू , अभी तक हम बहाते हैं |
भुलाना लाख चाहा पर , भुला उसको न पाते हैं |
किताबों के गुलाबों में , महक ताजी मुझे लगती ,
उसे ही देखकर "तन्हा" ,सभी गम भूल जाते हैं ||
**** कवि विजय तन्हा ****
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