मुक्तक
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(1)
वन उपवन खिलकर कहें, स्वागत है मधुमास
तेरे आने से यहाँ, बढ़े हास परिहास
टिक जाओ इस ठौर पर, करें निवेदन आज
तुम बिन हम सब झेलते, इस जग का उपहास !!!
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(1)
वन उपवन खिलकर कहें, स्वागत है मधुमास
तेरे आने से यहाँ, बढ़े हास परिहास
टिक जाओ इस ठौर पर, करें निवेदन आज
तुम बिन हम सब झेलते, इस जग का उपहास !!!
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