तुम्हें कसम मेरे सजन, मत जाओ परदेश
मेरी इकली जान को, बढ़ता बहुत कलेश
मौसम की अँगड़ाइयाँ, तन को देती त्रास
पास रहूँ, भूखी भली, खुशियाँ मिलें विशेष !!!
~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
मेरी इकली जान को, बढ़ता बहुत कलेश
मौसम की अँगड़ाइयाँ, तन को देती त्रास
पास रहूँ, भूखी भली, खुशियाँ मिलें विशेष !!!
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मुरारि पचलंगिया
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