आज मै भी उससे रुसवा हुआ"
............."शायर मेहताब".............
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आज मै भी उससे रूसवा हुआ,,
उसकी गली नही गया तो क्या हुआ...
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उम्रे-इश्क़ में ये पहली मर्तबा हुआ,,
उस गली की ख़ाक से मै जुदा हुआ...
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आगे मिलती थी सीधे मुह नफरत,,
आज यूँ नफरत जगा के अच्छा हुआ...
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उसे देखने की हसरत गिरवी रखी,,
ग़म उसका उधार पाकर अच्छा हुआ...
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वो मेरा इंतजार नही करते मेहताब,,
मै फिरभी हर शाम उस गली की सदा हुआ...
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#शायर_मेहताब
............."शायर मेहताब".............
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आज मै भी उससे रूसवा हुआ,,
उसकी गली नही गया तो क्या हुआ...
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उम्रे-इश्क़ में ये पहली मर्तबा हुआ,,
उस गली की ख़ाक से मै जुदा हुआ...
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आगे मिलती थी सीधे मुह नफरत,,
आज यूँ नफरत जगा के अच्छा हुआ...
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उसे देखने की हसरत गिरवी रखी,,
ग़म उसका उधार पाकर अच्छा हुआ...
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वो मेरा इंतजार नही करते मेहताब,,
मै फिरभी हर शाम उस गली की सदा हुआ...
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#शायर_मेहताब
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