*****
प्रेम पर्व का एक दिन
कभी नहीं होता है ,
प्रेम का अहसास तो
हर दिन हर पल होता है !
प्रेम की भाषा शब्दों में
नहीं बांधी जाती ,
ह्रदय में कोलाहल मचा दे
है ... ये ऐसी आँधी !
मीरा ने कृष्णा को चाहा
कृष्णा ने राधा को ,
रुक्मणी संग गठजोड़ हुआ
फिर भी जिये आशा को !
प्रीत का रिश्ता दिल से जुड़ता
भावों में कोई बसता है ,
एक मीठे अहसास से
जीवन का हर पल सजता है !
प्रेम नहीं दिखावा कोई
न जताया जाता ,
ये तो नैनों की भाषा है
जो नैनों से है पढ़ा जाता !
प्रेम सिर्फ समर्पण चाहता
और चाहता वफादारी ,
किसी के अहसासों में डूबी
ये ... जिन्दगी हमारी !
प्रेम पर्व की इस बेला में
आओ एक अनुबन्ध करें ,
तुम्हारी छवि ही देखें हम
जब भी आँखें बन्द करें .....
जब भी आँखें बन्द करें !!!
अनुभा मुंजारे " अनुप
प्रेम पर्व का एक दिन
कभी नहीं होता है ,
प्रेम का अहसास तो
हर दिन हर पल होता है !
प्रेम की भाषा शब्दों में
नहीं बांधी जाती ,
ह्रदय में कोलाहल मचा दे
है ... ये ऐसी आँधी !
मीरा ने कृष्णा को चाहा
कृष्णा ने राधा को ,
रुक्मणी संग गठजोड़ हुआ
फिर भी जिये आशा को !
प्रीत का रिश्ता दिल से जुड़ता
भावों में कोई बसता है ,
एक मीठे अहसास से
जीवन का हर पल सजता है !
प्रेम नहीं दिखावा कोई
न जताया जाता ,
ये तो नैनों की भाषा है
जो नैनों से है पढ़ा जाता !
प्रेम सिर्फ समर्पण चाहता
और चाहता वफादारी ,
किसी के अहसासों में डूबी
ये ... जिन्दगी हमारी !
प्रेम पर्व की इस बेला में
आओ एक अनुबन्ध करें ,
तुम्हारी छवि ही देखें हम
जब भी आँखें बन्द करें .....
जब भी आँखें बन्द करें !!!
अनुभा मुंजारे " अनुप
0 comments:
Post a Comment