गज़ल
फेलुन*4
हाँ मैं तुझसे प्यार करूँगी
तेरा ही दीदार करूँगी
दिल की बस्ती नेक बसाकर
जीवन के दिन चार करूँगीं
देख के दर्पण को फिर यारा
मैं अपना श्रृंगार करूँगीं
खेल खिलाड़ी जीवन नैया
दरिया को फिर पार करूँगीं
गम हो या हो कोई आपदा
हर दिन को त्यौहार करूँगी
तोड़ बुराई की जंजीरे
मन को मैं तलवार करूँगीं
उल्फत में मैं करूँ वफाई
वादे का इकरार करूँगी
काटूँगी जग मोह के बंधन
बस लेखन में धार करूँगी
सूरज तक जाना है मुझको
ताप भी अंगीकार करूँगी
लाख कठिन हो राह-ए-मंजिल
कांटों को स्वीकार करूँगी
जीवन के संघर्षों में अब
सरिता को तैयार करूँगी
सरिता कोहिनूर
फेलुन*4
हाँ मैं तुझसे प्यार करूँगी
तेरा ही दीदार करूँगी
दिल की बस्ती नेक बसाकर
जीवन के दिन चार करूँगीं
देख के दर्पण को फिर यारा
मैं अपना श्रृंगार करूँगीं
खेल खिलाड़ी जीवन नैया
दरिया को फिर पार करूँगीं
गम हो या हो कोई आपदा
हर दिन को त्यौहार करूँगी
तोड़ बुराई की जंजीरे
मन को मैं तलवार करूँगीं
उल्फत में मैं करूँ वफाई
वादे का इकरार करूँगी
काटूँगी जग मोह के बंधन
बस लेखन में धार करूँगी
सूरज तक जाना है मुझको
ताप भी अंगीकार करूँगी
लाख कठिन हो राह-ए-मंजिल
कांटों को स्वीकार करूँगी
जीवन के संघर्षों में अब
सरिता को तैयार करूँगी
सरिता कोहिनूर
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