वैलेंटाइन डे
शीशा लेकर मत घुमो इस.....पत्थरबाज जमाने में।
यहाँ मोल देना पड़ता है पल.....भर के मुस्काने में।।
पतझड़ होते ही उड़ जाते........पंछी सभी मुंडेरों के;
मन मोती की कदर नहीं है दिल के किसी खजाने में।
मनीष गर्ग मनीष
कर्वी चित्रकूट उ.प्र.
८८५८९४१३४१
शीशा लेकर मत घुमो इस.....पत्थरबाज जमाने में।
यहाँ मोल देना पड़ता है पल.....भर के मुस्काने में।।
पतझड़ होते ही उड़ जाते........पंछी सभी मुंडेरों के;
मन मोती की कदर नहीं है दिल के किसी खजाने में।
मनीष गर्ग मनीष
कर्वी चित्रकूट उ.प्र.
८८५८९४१३४१
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