गीत / डॉ डी एम मिश्र
--------------------------
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
--------------------------
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
सॉवली रात भी चमचमाने लगे
सो रही बॉसुरी कुनमुनाने लगे
मै बढा दूॅ उॅगलियॉ जरा-सी अगर
दीप बाती सहित थरथराने लगे
सो रही बॉसुरी कुनमुनाने लगे
मै बढा दूॅ उॅगलियॉ जरा-सी अगर
दीप बाती सहित थरथराने लगे
तुम खुली छूट दो गर मेरे प्यार को
मैं नये लोक भू पर बसा और दूॅ
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
मैं नये लोक भू पर बसा और दूॅ
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
कुंतलों की महक रातरानी बने
सॉस में सॉस घुलकर सुहानी बने
रूप की रश्मियों की बढे तीव्रता
और मेरा हृदय नर्म पानी बने
सॉस में सॉस घुलकर सुहानी बने
रूप की रश्मियों की बढे तीव्रता
और मेरा हृदय नर्म पानी बने
तुम मेरे अंक मे शून्य बन जाओ तो
मैं धरा पर गगन को झुका और दॅू
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
मैं धरा पर गगन को झुका और दॅू
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
बर्फ को आग बनते दिखा दॅू तुम्है
पत्थरों को विघलते दिखा दॅू तुम्हे
एक पल को अगर बंद कर लो नयन
स्वर्ग भू पर उतरते दिखादॅू तुम्हें
पत्थरों को विघलते दिखा दॅू तुम्हे
एक पल को अगर बंद कर लो नयन
स्वर्ग भू पर उतरते दिखादॅू तुम्हें
तुम बदल लो अगर प्राण से प्राण तो
ब्रम्ह से तुमको उपर उठा और दॅू
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
ब्रम्ह से तुमको उपर उठा और दॅू
प्यार की एक -दो रात देदो अगर
कुछ सितारे गगन मे बढा और दूूॅ
0 comments:
Post a Comment