कण-कण माटी ऋणी भगत की
ऋणी है ये आजाद की
ऋणी राजगुरु बटुकेश्वर की
ऋणी है वीर सुभाष की ।
इस माटी को वीरों ने
निज देकर लहू सजाया था
इस माटी की रक्षा में
हंस कर प्राण लुटाया था ।
राणा शिवा गुरु गोविन्द सिंह
इस बगिया के माली थे
दिल में हिन्दस्तान बसा था
करते इसकी रखवाली थे ।
बलिदानी बेटों से भारत
मां की हैं आंचल भरी पड़ी
झांसी की रानी सी बेटी
गोद में जिनकी पली बढी ।
अश्फाक रौशन सिंह से
आबाद गुलिस्तां है मेरा
सावरकर के बलिदानों से
आजाद हिन्दुस्तां है मेरा ।
याद इन्हें करके अपनी
तिरंगा नत हो जाता है
धरती भी नम हो जाती है
हिमालय झुक जाता है ।
आजाद नगर के रहवासी
ये याद रहे कुर्बानी
कर्जदार तुम हो उनके
हर सच्चा हिन्दुस्तानी ।
-------------------
उदय शंकर चौधरी नादान
पटोरी, दरभंगा, बिहार
77 38 55 94 21
ऋणी है ये आजाद की
ऋणी राजगुरु बटुकेश्वर की
ऋणी है वीर सुभाष की ।
इस माटी को वीरों ने
निज देकर लहू सजाया था
इस माटी की रक्षा में
हंस कर प्राण लुटाया था ।
राणा शिवा गुरु गोविन्द सिंह
इस बगिया के माली थे
दिल में हिन्दस्तान बसा था
करते इसकी रखवाली थे ।
बलिदानी बेटों से भारत
मां की हैं आंचल भरी पड़ी
झांसी की रानी सी बेटी
गोद में जिनकी पली बढी ।
अश्फाक रौशन सिंह से
आबाद गुलिस्तां है मेरा
सावरकर के बलिदानों से
आजाद हिन्दुस्तां है मेरा ।
याद इन्हें करके अपनी
तिरंगा नत हो जाता है
धरती भी नम हो जाती है
हिमालय झुक जाता है ।
आजाद नगर के रहवासी
ये याद रहे कुर्बानी
कर्जदार तुम हो उनके
हर सच्चा हिन्दुस्तानी ।
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उदय शंकर चौधरी नादान
पटोरी, दरभंगा, बिहार
77 38 55 94 21
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