मसखरों की हिम्मत देखों ,
ख़्वाब में भी चले आऐं !
मती ही मारी गई इनकी ,
शयन कक्ष में चले आऐं !
न मोहल्लें का ड़र न मेरा ,
यहाँ भी पीटनें चले आऐं !
चिख-चिख के कहतें है मनु
तेरें ख़्वाब में क्यूँ चले आऐं
ख़्वाब में भी चले आऐं !
मती ही मारी गई इनकी ,
शयन कक्ष में चले आऐं !
न मोहल्लें का ड़र न मेरा ,
यहाँ भी पीटनें चले आऐं !
चिख-चिख के कहतें है मनु
तेरें ख़्वाब में क्यूँ चले आऐं
महेंन्द्र मनु जैन
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