उन गलियों कि और हम नहीं जायेंगे
कुछ दिनों में हम सबको भूल जायेंगे
अपना ही कोई खंजर मार गया हमें
जख्म मिले गहरे पर भर ही जायेंगे
प्यार कि बातें तुम न करना किसी से
वरना बनते कई रिश्ते बिगड़ जायेंगे
अब क्यू लूं सहारा इन रस्सियों का
भरोशा करते ही जो खुल जायेंगे
जो देते रहे दीपक सबको उन्जाला
जरा सी हवा के झोकों से बुझ जायेंगे
बेकार समझ कर जो फैका है उन्होंने
हम गुलाब हैं बनके खुसबू बिखर जायेंगे
यूँ खूब न तारीफ कर तू मेरा ऐ नदीम
साहेब “सुनने वाले कुछ जल जायेंगे ”
कवि नदीम जगदीशपुरी
8795124923
कुछ दिनों में हम सबको भूल जायेंगे
अपना ही कोई खंजर मार गया हमें
जख्म मिले गहरे पर भर ही जायेंगे
प्यार कि बातें तुम न करना किसी से
वरना बनते कई रिश्ते बिगड़ जायेंगे
अब क्यू लूं सहारा इन रस्सियों का
भरोशा करते ही जो खुल जायेंगे
जो देते रहे दीपक सबको उन्जाला
जरा सी हवा के झोकों से बुझ जायेंगे
बेकार समझ कर जो फैका है उन्होंने
हम गुलाब हैं बनके खुसबू बिखर जायेंगे
यूँ खूब न तारीफ कर तू मेरा ऐ नदीम
साहेब “सुनने वाले कुछ जल जायेंगे ”
कवि नदीम जगदीशपुरी
8795124923