हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Tuesday, 28 February 2017

Kavi Nadeem Jagdishpuri ..Gazal Of THIS year 2017

उन गलियों कि और हम नहीं जायेंगे
कुछ दिनों में हम सबको भूल जायेंगे
अपना ही कोई खंजर मार गया हमें
जख्म मिले गहरे पर भर ही जायेंगे
प्यार कि बातें  तुम न करना किसी से
वरना बनते कई रिश्ते बिगड़ जायेंगे
अब क्यू लूं सहारा इन रस्सियों का
भरोशा करते ही जो खुल जायेंगे
जो देते रहे दीपक सबको उन्जाला
जरा सी हवा के झोकों से बुझ जायेंगे
बेकार समझ कर जो फैका है उन्होंने
हम गुलाब हैं बनके खुसबू बिखर जायेंगे
यूँ खूब न तारीफ कर तू मेरा ऐ नदीम
साहेब “सुनने वाले कुछ जल जायेंगे ”
कवि नदीम जगदीशपुरी
8795124923
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Kavi Durgesh badnam King of Hindi Kavita 2017

कटि लहराय चली केश बलखाय चली
कानन के कुंडल से छवि रति काम की ।
मुझसे ही प्रेम करे मुझको ही ढूंढती है
ओढ़ ली चुनर उसने जबसे मेरे नाम की ।
मैंने कहा मुझसे विवाह कर लो हे गोरी
जिंदगी कटेगी तेरी बड़े आराम से ।
तेरी मेरी जोड़ी बिलकुल वैसे ही लगेगी
जैसे राधे मां और बापू आशाराम की ।
- बदनाम दुर्गेश
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Actor Ram chandra yadav

https://youtu.be/Gx-9a5fmQRg



I am blessing to my big bro Actor Ram chandra For more groth become a good actor 
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Kavi Pavan Saras

" हिन्द की हुँकार " मेरी कविता से कुछ पंक्तियाँ।
बक्त फिसलता जाता नित दिन अब जनता के हाथों से।
हिम्मत कर हुँकार भरो सब क्या होगा जजबातों से।
भारत माता चीख पुकारे अपने वीर जबानों को।
जाओ जाकर सबक सिखादो दिल्ली के हैवानों को।
आग लगाई है जिसने घाटी की शर्द हवाओं में।
हैवान दरिंदे बैठे हैं बो भारत की सरकारों में।
निश्चेतन सा पड़ा हुआ है भारत का अभिमान यहाँ।
जाओ और ढूँढ़ कर लाओ माँ गंगा की शान कहाँ।
उठो दहाड़ो सब को दिखादो ताकत है ललकारों में।
हिम्मत से खलबली मचादो दिल्ली के दरबारों में।
उठो और सच को देखो आइना तुम्हें दिखलाता हूँ।
   
कवि पवन नन्देडा सरसी
Mob-9993351037

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Azam savan khan Hindi Or urdu gazal of 2017

ग़ज़ल 🖍🌷
साेचता हूँ सब पराये कौन अपना है यहाँ
हर किसी को आजमाकर हमने देखा है यहाँ

अब यकीं आता नही है हर किसी की बात पर
क्या पता है कौन सच्चा कौन झूठा है यहाँ

दौर कैसा चल रहा है आजकल ये ऐ  खुदा
अब भला परवा किसी की कौन करता है यहाँ

हर किसी के दिल मे देखो बस रही है नफ़रते
प्यार से अब तो किसी से कौन मिलता है यहाँ

हो गये बेघर यहाँ इस शहर मे मुफलिस बहुत
दंगाे की इस आग मे हर घर जो उजड़ा है यहाँ

शाम ये हर रोज कटती है उदासी मे मेरी
ज़िदगी के साथ कोई ग़म हमेशा है यहाँ

इस कदर धाेखा दिया है ज़ीस्त ने उस शख्स को
जो रहा है भीड़ मे वो आज तन्हा है यहाँ

इसलिये तन्हा भी होकर वो रहा तन्हा नही
पास आज़म के हमेशा एक चेहरा है यहाँ

आज़म सावन.खान
सहारनपुर
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Tanveeer Heart touching line of 2017

हमारे दोस्तों में कोई दुश्मन हो भी सकता है,
ये अंग्रेज़ी दवाएं हैं रिअक्सन हो भी सकता है,
किसी माथे पर हरदम एक ही लेवल नही रहता,
भिखारी चन्द हफ़्तों में महाज़न हो भी सकता है...

___ _तनवीर
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Mahendra Jain manu go with alone

एकांत में

चलों किसी एकांत में ,
एसा लिख दिया जाय !
पढ़नें वाला आँख से ,
आसूँ भर टपकाय !
अच्छें को बुरा समझ ,
लांछन फिर न लगाय !
जीतें जी इन्सान की ,
मय्यत फिर न उठाय !
लिखनें वाला लिख गया ,
पढ़ के क्यों पछताय ?
"मनु" जनम मे ज्ञान हों ,
लिखा अमर हो जाय !

📜✍📜✍📜✍📜
महेंन्द्र " मनु" जैन
९८२७६१०५००
इन्दौर 
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Meera Bhargav lines of 2017

...उमंग ....

जब मन में हो उमंग और उल्लास
साथ हो अपनों का प्यार विश्वास
जीवन बन जाता है नित नव उत्सव
होता है पल पल ईश्वर का आभास ।।

मीरा भार्गव ....
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Mahendra jain manu kavita

💞✍💞✍💞✍💞✍
ख़त का जवांब हॉ या ना
💞💞💞💞💞💞💞💞
दिल की बात कबतक
छुपाओंगी ?
हकीकत से तुम बच न
पाओंगी !
परिंदा जो ख़त लाया है
उसे कबतक लौटाओंगी ?
हमारा एक ही प्रश्न है
क्या उत्तर दे पाओंगी ?
मिलेगें किसी मोड़ पर
तो क्या आँख मिला पाओंगी ?
मौन का चिलमन गिरा दोगी
तो क्या हमें जिन्दा पाओंगी जनाजा हमारा उठें और
बदनाम तुम हो जाओंगी !
वो परिंदा है अज़िज़ मेरा
उसें कितना सताओंगी ?
जवाब मनु तक ले आयेंगा
तुम हाँ या ना में जवाब दे
पाओंगी ?
💞✍💞✍💞✍💞✍
महेंन्द्र मनु जैन
९८२७६१०५००
इन्दौर (म०प्र०) 
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Seema Madhuram

####बोल बम बोल बम####

बोल बम , बोल बम , बोल बम ,बोल
तेरा कुछ न लगेगा मोल ----
बोल बम बोल बम -----
कवारिये चल दिए मगन हो
शिव के जयकारे लिए ---
न भूख लगे न प्यास लगे ---
बस शिव नाम का अमृत पिए हुए ---
बोल बम बोल बम बोल बम बोल ,,
तेरा कुछ न लगेगा मोल ---
कदम से कदम मिलाकर चलते
देखो कैसे इठला कर चलते ----
चल दिए शिव नाम लिए ---
बोल बम बोल बम कहते जाते
आगे ही आगे बढ़ते जाते ----
रुकेंगें पाकर ही दर्शन ---
प्रफुल्लित भी हो जाएगा मन ---
तब जाकर लेंगे ये चैन
और सोयेंगे उस रैन ---
बोल बम बोल बम बोल बम बोल
तेरा कुछ न लगेगा मोल !!!!

सीमा"मधुरिमा"
लखनऊ !!!
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Shayar Bala prasad balaji Best Gazal in hindi

नज्म पेशेनजर  है--
 कौन है शंकर की तरह जहर पीता है ।
दूसरों को विष पिला चैन से जीता है ।

उलझा फिरता है क्यों मोह-माया  में ,
मत बताओ मेरा जीवन कैसे बीता है।
अराम कर लेने दे थोड़ी देर मुसाफ़िर,
लिये बैठा हूॅ नज्म  वक्त कहाॅ रीता है।
कैंची चलती रहती हैं बिन पैमाने  के,
फिर क्यूं भूली तूं मेरे हाथ में फीता है।
न बांट हमें कि हिंदू हैं वो मुसलमां है,
बालाजी अम्न बांटती कुरान गीता है।
----------शायर  बाला प्रसाद बालाजी
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छवि-विचार

छवि-विचार
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

जैसे कलिका मन्त्रमुग्ध हो, पाकर अलि के गुंजन को
या फिर अम्बर ने गाया हो, पुण्य धरा के वंदन को
सोन चिरैया के अधरों पर, जब मुस्कान बिखर जाती है
नीर नयन मे आ जाते हैं, देख नेह के बन्धन को

🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
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Om Agraval Mumbai 2017 hindi kavita जब गुरुकुल के आदर्शों का

चलते-चलते:२३.०२.२०१७ गुरूवार

गुरुकुल
🌻🌻🌻

जब गुरुकुल के आदर्शों का, मान बढ़ाया जाता है
और गुरू के पदपंकज पर, पुष्प चढ़ाया जाता है
जब गुरुवर के ज्ञान ध्यान का, हमसब वंदन करते हैं
औऱ गुरू की पदरज को हम, अपना चंदन करते हैं
जब गुरुवर की राहों को हम, अपनी राह बनाते हैं
और उन्ही की छाया मे हम, सारे सुख पा जाते हैं
तब जीवन के अर्थों का भी, सत्य दिखाई देता है
विश्वासों का अंकुर भी तब, स्वयं जन्म ले लेता है
तब जीवन की बगिया मे, हर काल कली मुस्काती है
परम प्रभू की करुण कृपा तब, नेह सुधा छलकाती है
किन्तु हुई सब बात पुरानी, कहाँ कभी कब दिखती है
कहाँ लेखनी किसी कवी की, कहो कहीं कब लिखती है
गुरुकुल की इस लुप्त विधा का, आओ हमसब मान करें
और हमारे आदर्शों का, खुद ही हम सम्मान करें

🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
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Geeta Thakur Best hindi kavita

🌻🌻ॐशिवाय नमः🌻🌻

शीश चन्द्र ओर गंग की महिमा अति सुहाये
मस्तक चन्दन नैन समाधि शोभा वरनी न जाये
अगं भवूती लगा रहे गले सर्प लिपटाये
वाँम अंग गौरा विराजे मंद मंद मुस्काये
लेकर डमरू हाथ में नृत्य करे महाकाल
इनका सुमिरन जो करे मिटे सभी जंजाल।
🌻🌻ॐ शिवाय नमः🌻🌻
गीता ठाकुर
बाडी
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Kavi Sandeep Sharma Best Hindi Kavita 2017

हर्षित तन मन पुलकित जीवन
प्रातःप्रभात को कर रहा वन्दन
संध्योपासना  मे  प्रवृत्त  होकर
विप्र  ललाट पर शोभित चन्दन

वेद वाणी को  हृदय  धारण कर
कर  रहा  उच्च  ध्वनियां उच्चार
अत्यन्त निर्मल हे उसका विचार
सत्य धर्म  का हो पग पग प्रसार

शंखो  की  ध्वनियां  गुंज   उठी
मंदीर  पर  कोयल   कूक  उठी
पुष्पो  से  सज्जित आरती थाल
अग्नि  से  बातीयां  चमक उठी

नवजात  शिशु  भी  जाग  गया
सुन  उठी  मां  उसका   क्रन्दन
ममता  से  स्पर्श  किया उसको
दीप्त  हुआ  उसका  मुखमंडल

खग  वृन्द  कलरव  करने  लगे
नित्य  की   उड़ान  भरने  लगे
दाना   पानी   की   तलाश   मे
इधर    उधर   भटकने     लगे


होने  शिक्षित  घर  से  निकले
बालक  मन मे करके  विचार
सभ्यता संस्कृति का पाठ पढ़े
और जाने इस जीवन का सार

मजदूर लेकर निकला औजार
हुआ आशाओं का तीव्र संचार
जीवन  को जीने  के  खातिर
कष्ट  सहने  को भी है  तैयार

इस तरह से सूर्य निर्देशित कर
निजकर्मो  का  दे  रहे  संदेश
अपने अपने कर्तव्य निभाकर
लो आओ मिटाये सकल क्लेश

संदीप शर्मा ✍🏻🙏🏼🙏🏼🙏🏼
सुप्रभातं सर्वेभ्यः नमः
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Naresh malik

दोस्तों, कुछ दिनों से व्यस्तता के चलते आप से रूबरू नहीं हो सका।आज आपकी नजर मेरा लिखा एक मुक्तक-------

हर आदमी दिल के आसपास नहीं  होता
हर  किसी  का यूँ रूह में वास नहीं होता
मिलने को तो मिलते हैं रोज लोग हज़ारों
पर हर मिलने वाला शख्स खास नहीं होता।

 -----आपका अपना मित्र नरेश मलिक
     Copyright @ naresh malik
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मधुशाला छंद-

मधुशाला छंद-

हृदयन अंकित हो गया सखी !,कैसे  तुमको अब भूलूॅ
ऋतु  सावन  संगीत  लहर है ,  कैसे  तुमरे  बिन  झूलूँ
अगणित  बार ताका छाया  को ,मन नव नूतन से हर्षा
जब  उर मंडल पा प्रसन्नता,चमक ओठ  पर क्यों लूलूॅ।।

                   श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
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Kavi Naveen Tiwari Telling something about exam 2017

इम्तिहान <परीक्षा >🔭
दुसरो की इच्छा होती परीक्षा
जिंदगी का हर पल सबसे बड़ी परीक्षा
काजल की कोठरी है दाग से बचना है
सद चरित्र रहना है बुराई से बचना है

निष्कलंक आये धरती पर
खाली हाथ मुट्टी थी बंद
निर्वस्त्र असहाए थे हम
सबने गले लगा पुचकारा
कुछ प्यार  दुलार भी बरसाया   💎
वस्त्र आभूषण से सज गए हम
क्या करने आये ये  भूल गए हम  
मोह माया में बंध  गए हम

 दोचार शब्द ज्ञान किया 🖌
अप शब्दों से बखान किया
अहंकार से सीना तान 🔎
सद्कर्म ही भुलाने लगे
कंकड़ पत्थर जोड़ने लगे
तन से वस्त्र घटने लगे
वासना कुकर्म भले लगे
 लोगो की  आत्मा कचोटने लगे

मोह माया का अनोखा संसार 💐
सजा देखो मय का दरबार
आत्म प्रेषण  सिर्फ अंहकार
हुए रसना लतो से बेजार

 जाप किया  सब मेरा है🌿
ये न जाना सब माया है
जब आया खाली हाथ
खाली हाथ ही जाना है

नश्वर तन से मोह किया 🌿
खूब चहक कर भोग किया
जर्जर तन ने किनारा किया
आत्मा को अपने से विलग किया

आनंद विभोर की बेला थी 🥀
जग  बिछोह की रेला थी
परमात्मा से मिलन होनी थी🔥
पर दुर्गुण दुर्गन्ध छायी थी

परमात्मा ने दिया दुत्कार 🔥
प्यार था नश्वर से अपार
सद कर्म सद्गुण शून्य  मिले
फिर से परीक्षा फेल हुए
स्वरचित 🔥
नवीन कुमार तिवारी अथर्व
        /////
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Kavi Deep shekhar

मन मिरा बावरा हो गया,
देखिये प्यार सा हो गया।

आज खुद ही खड़ा हो गया,
यूँ लगा हक़ अदा हो गया

वो सताता रहा हर दफ़ा,
नाम का बेवफ़ा हो गया।

हम चले हाथ में हाथ ले
यूँ सफ़र आशना हो गया।

क्यों कभी कब कहाँ कौन है,
आदमी जब खुदा हो गया।

बस मुहब्बत किया कीजिये,
दौर नफ़रत भरा हो गया

आज शेखर चला छोड़कर,
हर करम से जुदा हो गया

दीपशेखर
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Sandeef Kumar Ajnavi

"कभी तो घर से बाहर निकलो,
कभी तो कुछ तुम बात करो?
कभी तो कुछ तुम पहल करो
कभी तो कुछ शुरूआत करो?
दूर से तुम कब तक देखोगे,
तीर-ए-नजर कब तक फेकोगे?
हम तुमसे खुद ही मिले,
पैदा ऐसे हालात करो।"

सन्दीप कुमार "अजनवी"/"अजनवी" शायर।
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Diwakar

बचपन से पचपन तक सब पगलाय रहे हैं
ईलू ईलू गाना बुढ़ऊ गाय रहे हैं
आमन के बौरन के संग बौराय रहे हैं
नीबर जबर सबै सन्गै फगुनाय रहे हैं lll
- दिवाकर
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Kavi Naveen tiwari 2017

सदा महकती यादो का सफर पुराना हो ,
 कुछ प्रेम गीत   हो  कुछ मय के प्याले  हो ,

आँखों में बसी नमी के छलकते पैमाने हो
कभी तुम उन्हें  बोलो ये  मय के  प्याले हो,
नवीन कुमार तिवारी
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Kavi Pankaj angar

 साथ में ले के सुहानी शाम इक दिन आयेगा।
प्यार का होठों तलक वो जाम इक दिन आयेगा।।
बस इसी उम्मीद नें ज़िंदा रखा अब तक हमें
खत मुहब्बत का हमारे नाम इक दिन आयेगा।।।।

पंकज अंगार
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Fakeera

ये खालीपन जिन्दगी का हिस्सा बन गया
मुक्कमल कहानी थी अधुरा किस्सा बन गया ।।

#फकीरा
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Dr Kirtivardhan shayri

टूटे हुए शब्दों को, अक्सर जोड़ देता हूँ,
गीत या ग़ज़ल, अच्छा सा रूप देता हूँ।
कागज़ पर बिखर जाएँ शब्द इधर-उधर,
उठाकर-सजाकर, हायकु बना देता हूँ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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Dr Avinashi best shayari 2017

.............Aadhyatmik.आध्यात्मिक.
.....Desh hit, janhit aom viswakalyanarth....
Avinashi saty lok aom aooshadhiy fool fal laghuuddyn bharuwa sumerpur u.p.india avinashi darshan gyan yog se......................
                    ..... मुक्तक ......
खुद को नहीं जो जाने जगमें, शिव को जान नहीं पाते।
जिनकी कथनी करनी मे अंन्तर, ज्ञानी उन्हें नहीं भाते ।।
भ्रम के बस मे हो करके वे  ,स्वयं फँसें पर  को   फाँसें ।
अविनाशी खुद का हि  बिगाडें,  मरें जिये   रोते गाते ।।
                    ....  .....Muktak......
Khud ko nahi jo jane jagme, shiv ko nahi jan pate .
Jinki kathani karani me antar, gyani nahi bhate ..
Bhram ke bas me hokarke vye ,swaom fhase par ko fhase .
Avinashi khud ka hi bigare ,mare jiye rote gate ..
Dr avinashi......
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त्रिभंगी छंद -

त्रिभंगी छंद -

हे ! रुद्र भयंकर ,तुम  प्रलयंकर ,  लय के   शासक  हो स्वामी
हे ! दैत्य विनाशक,तुम त्रिपुरांतक,विभु जग पालक हो स्वामी
गौरी  हिय  वासा , शैल  निवासा , आत्मा चालक   हो  स्वामी
हे ! त्रिगुणाकारा , भव  अविकारा, त्रिनेत्र पावक    हो  स्वामी।।

हे !भुजंग भूषक,  भस्म  विलेपक ,जन्मों का  श्राप  मिटा दो
हे ! श्मशान वासा  ,निर्गुण  दासा,  आत्मा  का  ताप मिटा दो
तुम आदि अघोरा , प्रकृति विभोरा, मम मानस पाप मिटा दो
ओम्  शिवाय  नमो   ,रुद्राय नमो,  भव  का  संताप मिटा दो।।

                         श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
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Shailesh mishra best song

एक प्रयास "सौगात" पर
~~~***~~~
सौगात निशानी प्यार की है,
देते- लेते हैं सब सौगात।
किंतु आजकल सौगातों से,
लोग मापते है औकात।
********
दिल में नहीं है प्यार जरा
पर देते हैं मंहगी सौगात।
ताकि जमाना भी जाने,
है इनकी कितनी औकात।
********
सौगात,भेंट,उपहार आदि की,
नहीं होती कीमत से पहचान।
उपहार तो छोटा बडा बराबर,
उसका पैमाना प्यार और मान।
*********
गया सुदामा द्वार कृष्ण के,
था उसके मन में संकोच।
पर कान्हा ने हाथ बढाकर,
लीन्हीं गठरी बगल से नोच।
*******
बोले श्याम सुदामा से तुम,
प्यार की भेंट दबाते हो।
भाभी ने सौगात जो भेजी,
क्यों तुम नहीं दिखाते हो।
*******
वही भेंट सौगात है सच्ची,
जिस में भरा हुआ हो प्यार।
जहाँ प्रदर्शन वैभव का हो,
वह उपहार गया बेकार।
********
मेवा त्यागा दुर्योधन का,
पर शाक विदुर का खाया था।
इस तरह कृष्ण ने कई बार,
उपहार का मर्म बताया था।
********
ऋद्धिकरण मिश्र "शैलेश"©
मगसम १८०१५/२०१६
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Kavi Heera lal best gazal 2017

हर तरफ  है  उमंग का मौसम।
जब से आया वसंत का मौसम।

ओढ़  बैठी  धरा   चुनर   धानी
सुर्ख फूलों  के  रंग का मौसम।

प्यार की  मीठी  बोलियाँ बोलो
भूल भी जाओ  तंज का मौसम।

कूँक कोयल की कह रही सबसे
है ये सजनी के संग का मौसम।

बाद  मुद्दत  के  यार  आया  है
गीत-ग़ज़लों का, छंद का मौसम।

झूम लो  भूल  सारे ग़म हीरा
है ये दिल की पसंद का मौसम।

                 हीरालाल
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Pagal kahta hai "pagal"

करता है वो दिन और रात मेहनत
फिर भी घर उसके अन्न नही रहेता

कभी मौसम तो कभी हालत से लडता है
फिर भी सोना माटी से वो उगाता है

करता है अन्न पूर्ती वो जग कि
खुद भूका वो रहे जाता है ।

है अनंन्त पिडा फिर भी मुस्कुराता है
जग का अन्नदाता किसान वो कहेलाता है ।।

पागल
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Sunday, 26 February 2017

Nishima best Hindi kavita

आज के विषय पर मेरे भाव

शब्द नही भूख एक भाव है
जन्म मरण का आधार है
गर न तो भूख मानव मे
पडा रहे फिर वो आलस मे

कर्म की चाल हथियार है
पेट को भरने की दरकार है
देखा व्याकुल भूखे इन्सान को
ज्वाला भूखे पेट की बुझाने को

न जाने दर्द वो जो न सहे
कितने जतनो से बुझे भूख
देखा है रोटी के लिये मैने
लडते झगडते इन्सानो को।

बेबस लाचार से जीते जीवन
तिरस्कार करते इन्सानो को
देखा है  तडपती उम्मीदो को
भूखे सोते हुये कई गरीबो को

चन्द सिक्को से खरीदे लिये
गरीबो की हसी और खुशी
जशन उन अमीरो के हो तो
फिकती है कई भूखो की रोटी

निमिषा
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Saturday, 25 February 2017

Kavi Durgesh Dubey love poetry

दिल निक्कमें को इक काम मिल जाएगा।
एक गुमनाम को नाम मिल जाएगा।
इक दफ़ा पूछ ले आप हालत मेरी,
मेरे जख्मों को आराम मिल जाएगा।
-दुर्गेश
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Shayar Bala Ji BEST Gazal 2017

नज्म पेशेनजर  है--
 कौन है शंकर की तरह जहर पीता है ।
दूसरों को विष पिला चैन से जीता है ।

उलझा फिरता है क्यों मोह-माया  में ,
मत बताओ मेरा जीवन कैसे बीता है।
अराम कर लेने दे थोड़ी देर मुसाफ़िर,
लिये बैठा हूॅ नज्म  वक्त कहाॅ रीता है।
कैंची चलती रहती हैं बिन पैमाने  के,
फिर क्यूं भूली तूं मेरे हाथ में फीता है।
न बांट हमें कि हिंदू हैं वो मुसलमां है,
बालाजी अम्न बांटती कुरान गीता है।
----------शायर  बाला प्रसाद बालाजी
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Kavi Katil Shfai

प्यार की राह में ऐसे भी मक़ाम आते हैं |
 सिर्फ आंसू जहाँ इन्सान के काम आते हैं ||
 उनकी आँखों से रखे क्या कोई उम्मीद-ए-करम |
 प्यास मिट जाये तो गर्दिश में वो जाम आते हैं ||
 ज़िन्दगी बन के वो चलते हैं मेरी सांस के साथ |
 उनको ऐसे भी कई तर्ज़-ए-खराम आते हैं ||
 हम न चाहें तो कभी शाम के साए न ढलें |
 हम तड़पे हैं तो सुबहों के सलाम आते हैं ||
 कुव्वत-ए-दस्त-ए-तलब का नहीं जिन को इदराक |
 तेरे दर से वही बे-नील मराम आते हैं ||
 मुंह छुपा लेते हैं ग़म हज़रात-ए-नासेह की तरह |
 जब भी मैखाने में रिंदान-ए-कराम आते हैं ||
 हम पे हो जाएँ न कुछ और भी रातें भारी |
 याद अक्सर वो हमें अब सर-ए-शाम आते हैं ||
 छिन गए हम से जो हालात की राहों में क़तील |
 उन हसीनों के हमें अब भी पयाम आते हैं ||
 -क़तील शिफ़ाई
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__ tanveer

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ हिन्दी मुस्कुराती है

उछलते खेलते बचपन में बेटा ढूँढती होगी
तभी तो देख कर पोते को दादी मुस्कुराती है

तभी जा कर कहीं माँ-बाप को कुछ चैन पड़ता है
कि जब ससुराल से घर आ के बेटी मुस्कुराती है

चमन में सुबह का मंज़र बड़ा दिलचस्प होता है
कली जब सो के उठती है तो तितली मुस्कुराती है

हमें ऐ ज़िन्दगी तुझ पर हमेशा रश्क आता है
मसायल से घिरी रहती है फिर भी मुस्कुराती है

बड़ा गहरा तअल्लुक़ है सियासत से तबाही का
कोई भी शहर जलता है तो दिल्ली मुस्कुराती है.

__ tanveer
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Tanveer Shayar

[8:29 PM, 2/24/2017] Kavi Shayr Yunish Khan Patrkar: दरख्तों से ताल्लुक का हुनर

सीख ले इंसान....

जड़ों में ज़ख्म लगते ही,

टहनियाँ सूख जाती हैं...✍

        🌹आदाब जी🌹                      
[8:54 PM, 2/24/2017] +91 96707 58469: इसी में ख़ुश हूँ...



इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है;

चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है;



ज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्त;

क़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता है;



न जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जाये;

दिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता है;



मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की;

भरी बहार में जैसे मकान ढहता है।

___ तनवीर
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Chetan


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Vivek Hari Mishra 2017 best Muktak

*मुक्तक ***

तेरे होने का सांसों में मेरी एहसास रहता है
तू मेरे साथ में है ये मुझे विश्वास रहता है
तेरी यादों को दिल से अब मिटाना गैर-मुमकिन है
तेरा साया मेरे दिल के हमेशा हास रहता है  !!

विवेक हरि मिश्र:
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Shivam Dikshit best 2017

  मैं  भावनाओं को शब्द  देने  की  कोशिश कर  रहा हूँ ,
एक परी है उसे महसूस करने की कोशिश कर रहा हूँ ;
एक  रात कह  गयी  थी  वो  कुछ  मुझसे  ख्वाबों  में ,
आज तक उन शब्दों को सुनने की कोशिश कर रहा हूँ ;
                                           ✍... - शिवम दीक्षित
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Dr Kritivardhan

टूटे हुए शब्दों को, अक्सर जोड़ देता हूँ,
गीत या ग़ज़ल, अच्छा सा रूप देता हूँ।
कागज़ पर बिखर जाएँ शब्द इधर-उधर,
उठाकर-सजाकर, हायकु बना देता हूँ।

डॉ अ कीर्तिवर्धन                        
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Narendrapal JAIN

सबकी आँखों में प्यारा-सा सपना एक सलोना हो,
आंसू उनमें हो बेशक पर खुशियों का ही रोना हो,
जी लो खुलकर इस जीवन को प्रीत डोर के बन्धन में,
आदमी फिर न जाने कब भाग्य के हाथों खिलौना हो।

✍🏻 नरेंद्रपाल जैन।
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Uday Shankar chaudhari

मेघ मल्हार का कोई नहीं मैं राग लिखता हूं
दिलों में है लगी जो आग वो आग लिखता हूं
~
नहीं लिखता हूं इस खातिर कि मेरा नाम हो जाए
दबे कुचले कि मैं केवल आवाज लिखता हूं
~
लिखने को तो लिख सकता मुहब्बत के तराने भी
नहीं श्रृंगार मैं लिखता इंक्लाब लिखता हूं
~
जहां जन्मा जहां खेला वहां की बात लिखता हूं
जमीं का दर्द लिखता हूं दबी जज्वात लिखता हूं
~
मचलता है जो मेरा दिल किसी का प्यार पाने को
जमीं की ओर दिखता हूं जमीं का प्यार लिखता हूं
~
अगर गुमनाम हूं तो क्या हुआ बदनाम भी ना हूं
तभी खुलकर मैं लिखता हूं सही हर बात लिखता हूं
~
अभी "नादान" हूं ये आप भी तो जानते हीं है
अधूरा ज्ञान है मेरा तभी तो साफ लिखता हूं
~
मां  के  पेट  में  जो  हो  रहे  हैं दफ्न  जो  माएं
अजन्मीं मासुमों की मैं दुखी फरीयाद लिखता हूं
~
दहेजों की चिताओं पे जो बहूऐं आज सोती है
जलाकर खाक कर देते वो काली रात लिखता हूं
~
किसानों का पसीना और उनके बुझे चेहरे
जवानों के लहू से हिन्द ये आवाद लिखता हूं
~
उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
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Pankaj Angar KAVITA in Hindi

साथ में ले के सुहानी शाम इक दिन आयेगा।
प्यार का होठों तलक वो जाम इक दिन आयेगा।।
बस इसी उम्मीद नें ज़िंदा रखा अब तक हमें
खत मुहब्बत का हमारे नाम इक दिन आयेगा।।।।

पंकज अंगार                        
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Bal kavitri Best KAVITA 2017 in Hindi

तुम्हारी याद में मैने समय रो रो के काटा है,
कभी अपनों से दुख को तो कभी गैरो से बॉटा है,
सुबह से शाम तक तेरी याद में खोए रहती हूँ
कभी आयेगा तू आशा के बीज बोए रहती हूँ ।


 तेरे दीदार को अॉखे अब तो भीगी ही रहती हैं
कभी नहरो कभी दरिया कभी सागर सी बहती हैं
गजब ये दर्द कैसा है जो हर सीने में उठता है,
अजब ये रोग कैसा है जो हर दिल में पनपता है ।


हमारा प्यार सच्चा है हमारा  दिल ये कहता है,
तभी तो दिल हमारा तुमपे सब कुर्वान करता है,
कैसे बयॉ कर दूँ मैं अपने प्यार का किस्सा,
जमाना रोगी है जिसको जमान-ए प्यार कहता है
   --- बाल कवियत्री -एकता भारती (लिटिल एकता )..
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Peyush Sharma

"अगर तुम जा रहे हो छोड़कर तन्हा मुझे जाओ
नहीं रोकेगा अब तुमको बड़ा मगरूर है ये दिल.."
@पीयूष शर्मा
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Durgesh dubey Badnam Best Shayari

गिर कर सम्भल गये होते तो अच्छा होता ।
आँसू थे निकल गए होते तो अच्छा होता ।
देखो कितना बदल लिया है खुद को मैंने
थोड़ा तुमभी बदल गए होते तो अच्छा होता ।
- कवि दुर्गेश बदनाम
Leaving the title Kavi Badnaam for ...........😢
Now just Durgesh Pratap Mishra .
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Kavi Prateek Dwivedi

---वफ़ा पर प्रयास---

मेरी रूह तू मुझसे वफ़ा करना,
कुछ ऐसे काम किया करना !!

करना तू वफ़ा उस माँ से सदा,
तेरी ख़ातिर जिसने क्या न किया !!

पाला तुझको तपा खुद को दिया,
उस पिता का करना तू कर्ज़ अदा !!

खाया है नमक और दाना-पानी,
उस वतन का फर्ज़ अदा करना !!

जिसके दम से है तेरी साँस बँधी,
शुक्रिया मालिक का अदा करना !!

नज़रों से गिरूं जो कभी ख़ुद की,
कोई काम ना ऐसा कभी करना !!

मेरी रूह तू मुझसे वफ़ा करना
बस ऐसी ही राहें चुना करना !!

मेरी रूह...।।
मेरी रूह...।।

...✍🏻✍🏻✍🏻प्रतीक द्विवेदी
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Kavi Pavan Shankhdhar

जो करने की सोचा करते केवल ये उनका ख्वाब रहा
मैं कांटों बीच पला लेकिन फिर भी तो फूल गुलाब रह
____
कवि पवन शंखधार बदायूँ
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Kavi Pavan dikshit

मुक्तक_____
क्या पता इनका ये क्या क्या काम कर दें
ये अगर चाहें सुबह को शाम कर दें
ओढ कर खादी चादर ये दरिंदे
जब भी चाहें देश को नीलाम कर दें
___ कवि पवन शंखधार बदायूँ
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Shivam Dikshit

यूं   पतझड़   के  बागों   में  न   बैठा  करो ;
सच  मानिये   ऋतु  बसन्ती   आ   जायेगी ;

हमने  दे  तो   दिया   दिल   तुम्हें   प्यार  में  ;
अब आप ही बतायें कैसे जियूं बिन प्यार के ;

थोड़ा  हो  जाओ  तुम  हम पर भी  महरबॉ ;
न   लबों   से  सही  आँखों  से  एतबार  दो ;

कि    न    छोड़ोगे    तुम   मेरा    साथ   यूं  ;
जैसे   बादल   छोड़  देता   है  आकाश  को ;

यूं   पतझड़   के   बागों   में  न   बैठा  करो ;
सच   मानिये   ऋतु   बसन्ती  आ   जायेगी ;
                                ✍ - शिवम दीक्षित
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Kavi Pawan

धरती कभी आकाश को यूँ छू नहीं पायी ,
नदियां कभी आपने जल यूँ पी नहीं पाई ,
लो डरता-सहमता मैं अब ये आज कहता हूँ ,
तू मेरे भाग्य में हो के भी मेरी हो नहीं पाई

कवि
पवन नन्देडा सरसी
Mob-9993351037

D-25-2-2017 
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Friday, 24 February 2017

Kavi Madhur Rasdhar

                        ***मधुर रसधार****
शिव जीवन का सार हैं शिव ही हैं आधार।
शिव चिन्तन से ही चलें भव वारिधि के पार।
आत्मा के आनन्द की एक ही सच्ची राह।
नरसेवा कर रात-दिन मत कर तू परवाह।
जिसने ये जीवन दिया वह कल्याण स्वरूप।
उसकी चिंता होयगी तू क्यों बने कुरूप।
आंगन में भगवान के खेल रहे सब लाल।
जो तू देखे दुखी मन मदद करो तत्काल।
--=----------——----------___--------
हार्दिक शुभकामनायें जी जय श्री कृष्ण
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Kavi Mahendra Sahil

जमाने को दे दो पैगाम
हम हैं  भारत की शान
भारत प्यारा देश हमारा
हम इसकी सन्तान
जमाने को दे दो पैगाम

बुरी नजर न डालो इस पर
हिम गिरि का पहरा इस पर
माॅ भारती हमारी जान
हम हो जाऐगें कुर्बान
जमाने को दे दो पैगाम

तीन रंगं की चुनरी पहने
भारत माॅ मुस्काती है
तिरगां प्यारा सबसे न्यारा
है भारत देश की आन
जमाने को दे दो पैगाम

श्वेत रंग है महाशांती का
रंग हरा है फलने का
केशरिया रंग ताकत हमारी
तिरंगे की हैं शान
जमाने को दे दो पैगाम

बाल गीत  
पैगाम
महेन्द्र साहिल
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Thursday, 23 February 2017

Kavi Dheeraj Kumar new

इक दूजे को मनाने में,उमर ये बीत ना जाए
यूं  ही आजमाने में,उमर ये बीत ना जाए
जो है आज अभी कर लो कल का है भरोसा क्या
मीठे  गीत  गाने  में,उमर  ये बीत  ना जाए

🎤कवि/गीतकार "धीरज कुमार पचवार्या"
(राजगढ़,रनावा,म.प्र.)

📞whatsapp no.-8120287397
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Ajay Bhojpuri

                        एक पुरानी  ग़ज़ल
*****
क्यों सियासत की बू आ रही आजकल?
किसको खलती हमारी ख़ुशी आजकल ?

हमको तो है किसी से रकाबत नहीं ;
किसको हमसे हुई दुश्मनी आजकल ?

जी तुम्हारा जहाँ चाहता खुश रहो ;
हमको भाती यहीं चाँदनी आजकल ।

जिसने इस अंजुमन में बुलाया मुझे ,
खौफ से जाने किसके गई आजकल ?

ऐ'अजय' खूब मिलता यहाँ पर सुकूँ ,
सोचना क्या कहीं जाने की आजकल ?
  -अजय भोजपुरी
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Murari

सच को सच कहने से डरते,
            फिर ये कलम चलाते क्यों
मानवता नहीं अच्छी लगती,
               झूठा प्यार दिखाते क्यों
लाखों  फिरते  भूखे  नंगे,
             कुछ  के  हैं  भंडार  भरे
समता ममता की सब बातें,
            हृदय में नहीं  लाते  क्यों !!
~~~~~~~
मुरारि पचलंगिया
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हवा का झौंका Hindi Kavita

हवा का झौंका

आज हवा के झौंके ने
देखा मुझे तो इतना कहा
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से
बैठे हो तुम क्यों यहां।
आज की भागमभाग दौड़ में
निश्चित तुम बैठे हो क्यों ?
जाकर करो तुम भी तैयारी
ऐसे अकेले बैठे हो क्यों
क्यों नही बनाकर साथी
दो किसी काम को अंजाम ।
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से
बैठे हो तुम क्यों यहां ।
माना भाग्य नही है साथ
मगर सलामत हैं दोनों हाथ
लगाओ मेहनत कुछ तुम
ओर देगा साथी साथ
रखना प्रभु पर भरोसा
छोड़ना न कभी तुम आश ।
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से
बैठे हो तुम क्यों यहां ।
प्रभु ने यदि साथ दिया तो
खुल जायेंगी ये बेडि़यां
बंधे हैं जिनसे हाथ तुम्हारे
कट जायेंगी ये हथकडि़यां
ठाली बैठकर फिर क्यों तुम
देखते हो ये जहां ।
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से
बैठे हो तुम क्यों यहां ।
        -ः0ः-
नवल पाल प्रभाकर
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Shayar Mahtab

"आशिक़ों को मिटाना है"
........"शायर मेहताब"........
_
ये रिवाज़ तो बड़ा पुराना है,,
कि आशिक़ों को मिटाना है...
_
हम नही उस रस्ते में निकले,,
जिस राह पे चला जमाना है...
_
इश्क़ की मंज़िल अब यही है,,
फाँसलों में ही मर जाना है...
_
कब मांगी तुझसे वफ़ा मैंने,,
तू कुछ भी दे बस वही पाना है...
_
लाश एक दिन ना रखी घर मे,,
इन दिलों को कब जलाना है...
_
पलकों की चौखट धुल जाती है,,
यार ने कब नज़र आना है...
_
शहर में है आवारगी का आलम,,
मेहताब हमारा दिल वीराना है...
_
#शायर_मेहताब
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Kavi Aditiya bajrangi

मे भी प्यार में धोखा खाये बैठा हूँ
अपनों हाथो से जख्म खाये बैठा हूँ

कैसे कह दू की तुम भी प्यार कर लो
जब में प्यार में चूर चूर हुए बैठा हूँ

कभी खाती थी वो कसम हमारे प्यार की
आज उसकी कसमो का हिसाब लिए बैठा हूँ

मुझे आदत बना लेना आदित्य कहा उसने कभी
आदत उसकी हो गयी तो पागल हुए बैठा हूँ

शहर के लोग उसका दीवाना कहते है मुझे
में उसी के इन्तेजार में आज भी बैठा हूँ

प्यार मेरा ठुकरा गयी वो चन्द सिक्को के लिए
में उसके लिए दिल सी दौलत लिए बैठा हूँ

जब मिलेगा उसे धोखा उससे उसके प्यार में
तब आएगी वो बेवफा मेरी ही बाहों में

आदित्य वो दौलत के लिए मुझे छोड़ गयी
में उस बेवफा के लिए दौलत लिए बैठा हूँ

   कवि आदित्य बजरंगी
      📞9536198627
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ALL POEM


⁠⁠⁠⁠YESTERDAY⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠2:34⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠9:49 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 91292 98404Agnihotri satyam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[9:57 AM, 2/21/2017] +91 91292 98404: ⁠⁠⁠दिल ❤ तो कहता है ☝ की छोड़ दू 😔 ये इंटरनेट की दुनिया, पर आज कल ☝ इसके सिवा दोस्त कहां मिलते 👫 है..
⁠⁠⁠⁠9:57 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 91292 98404Agnihotri satyam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠दिल ❤ तो कहता है ☝ की छोड़ दू 😔 ये इंटरनेट की दुनिया, पर आज कल ☝ इसके सिवा दोस्त कहां मिलते 👫 है..⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[10:22 AM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠बात तो 101प्रतिशत सही है यकीन मानो मुझे एक भी दोस्त नहीं मिला
⁠⁠⁠⁠10:22 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 91292 98404Agnihotri satyam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠बात तो 101प्रतिशत सही है यकीन मानो मुझे एक भी दोस्त नहीं मिला⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[10:38 AM, 2/21/2017] +91 91292 98404: ⁠⁠⁠मुझे भी
⁠⁠⁠⁠10:38 AM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[10:40 AM, 2/21/2017] +91 91292 98404: ⁠⁠⁠"फूल बनकर मुस्कुराना जिन्दगी है,मुस्कुरा के गम भूलाना जिन्दगी है,मिलकर लोग खुश होते है तो क्या हुआ,बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी है
⁠⁠⁠⁠10:40 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠2:34 Audio⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:52 AM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠गजब का तरन्नुम है भाई मन प्रफुल्लित हो गया सुनकर
⁠⁠⁠⁠11:52 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠एक सुन्दर तस्वीर दिखाई थी तुम्हारी आँखों ने। जीने की तरक़ीब सिखाई थी तुम्हारी आँखों ने।। तुम कैसे जानोगे, तुम तो चन्द दिनों में चले गए। मुझमें एक उम्मीद जगाई थी तुम्हारी आँखों ने।। अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:54 AM, 2/21/2017] +91 87951 24923: ⁠⁠⁠http://sahitaysewamanch.blogspot.com/2017/02/abhi-shayrana.html
⁠⁠⁠⁠11:54 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠12:16 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[12:58 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠कोकिल अब तो आ जाना! मधुर दिवस ने दिन घेरा है रात्रिकाल सुख का डेरा है मधुमासी समीर परिमल भी सखि! अभाव केवल तेरा है। बैठ रसाल डाल तरुवर पर मीठे बोल सुना जा ना! आ विदायी दे दें ठिठुरन को अलसाई जन-मन अनबन को हम दोनों चल रूप निहारें बैठ मास वासंती तन को। देख मानना नेह निमन्त्रण करना कोई बहाना ना!! पतझड़ देख लगे ऐसे कि चीर प्रकृत छोड़ रही सी एक यौवना पहन वसन नव करे अलंकृत तन जैसे कि। कूक रहे बच्चे बागों । आ! इनसा कोई दीवाना ना। दिखे गगन यह कोरा कोरा नही पड़ा बादल का डोरा पता तुझे कल इन्ही दिनों में मेघों ने भू तल सर बोरा। बीत गई पुर साल बिना सखि! अब कहीं समय बिताना ना। कर दिनकर हौले होले हैं कृषकों ने कर-पग खोले हैं कहीं कनिक सरसों लहलहावे कहीं ईख गन्ने छोले हैं। सौरभ सुरभि आए बौरों से बौर खिले !बौराना ना!! कोकिल अब तो आ जाना! -अविरल
⁠⁠⁠⁠12:58 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Sachin Mishra Learn⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠2:34 Audio⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[1:04 PM, 2/21/2017] Kavi Sachin Mishra Learn: ⁠⁠⁠वाह वाह
⁠⁠⁠⁠1:04 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Sachin Mishra Learn⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠एक सुन्दर तस्वीर दिखाई थी तुम्हारी आँखों ने। जीने की तरक़ीब सिखाई थी तुम्हारी आँखों ने।। तुम कैसे जानोगे, तुम तो चन्द दिनों में चले गए। मुझमें एक उम्मीद जगाई थी तुम्हारी आँखों ने।। अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[1:06 PM, 2/21/2017] Kavi Sachin Mishra Learn: ⁠⁠⁠वाह
⁠⁠⁠⁠1:06 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠0:50⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[1:23 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠वाह
⁠⁠⁠⁠1:23 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠1:11⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[1:24 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠गजब
⁠⁠⁠⁠1:24 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Sachin Mishra Learn⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠वाह वाह⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[2:18 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠
🙏🏻
⁠⁠⁠⁠2:18 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:47 PM, 2/21/2017] +91 80031 11491: ⁠⁠⁠हिन्दुस्तान जिन्दाबाद, रहा है रहेगा सदा! आन बान शान मान, प्यारा मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान अद्वितीय, समतुल्य नहीं कोई! अनुपम अमर अजर मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान देश नहीं, ह्रदय की धड़कन! इंकलाब वाला उद्गोश, मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान के खिलाप, पाक तेरी क्या औकात! सैतालिस में जन्मा तू, बाप तेरा हिन्दुस्तान!! हेमन्त
⁠⁠⁠⁠2:47 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠1:05⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠2:50 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99077 88544🌹धर्मेन्द्र द्विवेदी-DK🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠1:05⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:10 PM, 2/21/2017] +91 99077 88544: ⁠⁠⁠गजब
⁠⁠⁠⁠4:10 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99077 88544🌹धर्मेन्द्र द्विवेदी-DK🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠गजब⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:11 PM, 2/21/2017] +91 80031 11491: ⁠⁠⁠
🙏🏻
⁠⁠⁠⁠4:11 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 87262 40991@infinite1997⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠हिन्दुस्तान जिन्दाबाद, रहा है रहेगा सदा! आन बान शान मान, प्यारा मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान अद्वितीय, समतुल्य नहीं कोई! अनुपम अमर अजर मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान देश नहीं, ह्रदय की धड़कन! इंकलाब वाला उद्गोश, मेरा हिन्दुस्तान!! हिन्दुस्तान के खिलाप, पाक तेरी क्या औकात! सैतालिस में जन्मा तू, बाप तेरा हिन्दुस्तान!! हेमन्त⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:15 PM, 2/21/2017] +91 87262 40991: ⁠⁠⁠👏👏👏👏👏👍
⁠⁠⁠⁠4:15 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80031 11491hemant⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 87262 40991@infinite1997⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠👏👏👏👏👏👍⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:22 PM, 2/21/2017] +91 80031 11491: ⁠⁠⁠
🙏🏻
🚩
⁠⁠⁠⁠4:22 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88589 41341Manish garg Manish⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94509 66995⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠कुछ दोहे हँसमुख के...सादर समीक्षार्थ.... १-- जीवन से थक हार कर, मत बैठो एकान्त/ महायुद्ध में आज के, पथिक रहो मत श्रान्त// २-- श्रान्त अगर तुम हो गये, तो जागेगा कौन/ काल चक्र का गान यह, हो जाएगा मौन// ३-- मौन रहो, न होने दो, मन में कोई क्षोभ/ मिथ्या जननी मौन की, सबका कारक लोभ// ४-- लोभ मोह छल छद्म को, करो स्वयं से दूर/ धर्म रथी बन सत्य के, रहो सत्य में चूर// हँसमुख⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:32 PM, 2/21/2017] +91 88589 41341: ⁠⁠⁠बहुत खूब
⁠⁠⁠⁠4:32 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[4:33 PM, 2/21/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠बॉस ने जोक सुनाया। . पूरी टीम हँसने लगी, सिवाये एक शख्स के। . बॉस ने पूछा... "तुम्हें मेरा जोक समझ में नहीं अाया क्या?" . वो बोला... "सर, मेरा दूसरी कम्पनी में सलेक्शन हो गया है। 😍😍😍😍😍😍
⁠⁠⁠⁠4:33 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99077 88544🌹धर्मेन्द्र द्विवेदी-DK🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠2:34 Audio⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:35 PM, 2/21/2017] +91 99077 88544: ⁠⁠⁠वाह भाई दीपक
⁠⁠⁠⁠4:35 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99077 88544🌹धर्मेन्द्र द्विवेदी-DK🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠वाह भाई दीपक⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠0:02⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠4:50 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 81021 65313स्वरा🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠वाह,,,,आँख न हुई,,,टोर्च हो गयी आपकी अँधेरी जिंदगी के लिए,,,,बहुत खूब⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[5:11 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏
⁠⁠⁠⁠5:11 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Sachin Mishra Learn⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠वाह⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[5:12 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠आभार भाई
⁠⁠⁠⁠5:12 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠You⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠http://sahitaysewamanch.blogspot.com/2017/02/abhi-shayrana.html⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[5:14 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠बहुत बहुत आभार
⁠⁠⁠⁠5:14 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠बॉस ने जोक सुनाया। . पूरी टीम हँसने लगी, सिवाये एक शख्स के। . बॉस ने पूछा... "तुम्हें मेरा जोक समझ में नहीं अाया क्या?" . वो बोला... "सर, मेरा दूसरी कम्पनी में सलेक्शन हो गया है। 😍😍😍😍😍😍⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[5:38 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠चौका मार दिया
⁠⁠⁠⁠5:38 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠चौका मार दिया⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[7:19 PM, 2/21/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠धन्यवाद
⁠⁠⁠⁠7:19 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97210 59895हम है sunny gupta⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[7:31 PM, 2/21/2017] +91 97210 59895: ⁠⁠⁠कल संगमनगरी में है मतदान... इस पर एक कुण्डलिया छ्न्द 💐💐💐💐💐💐💐 राजनीति की बह रही,संगम में अब धार। बसपा सपा व भाजपा,तीनो दल तैयार।। तीनो दल तैयार,सबक देगी अब जनता। जिसका जैसा कर्म,वोट है वैसा बनता।। कहत मदन कविराय,गजब मतदान की रीति। जन जन को अभिशाप,देश की ये राजनीति।। 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 कृतिकार सनी गुप्ता मदन
⁠⁠⁠⁠7:31 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97210 59895हम है sunny gupta⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠कल संगमनगरी में है मतदान... इस पर एक कुण्डलिया छ्न्द 💐💐💐💐💐💐💐 राजनीति की बह रही,संगम में अब धार। बसपा सपा व भाजपा,तीनो दल तैयार।। तीनो दल तैयार,सबक देगी अब जनता। जिसका जैसा कर्म,वोट है वैसा बनता।। कहत मदन कविराय,गजब मतदान की रीति। जन जन को अभिशाप,देश की ये राजनीति।। 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 कृतिकार सनी गुप्ता मदन⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[7:35 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠
🙏🏻
⁠⁠⁠⁠7:35 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591 left⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98896 97675shivam sharma gumnam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠कोकिल अब तो आ जाना! मधुर दिवस ने दिन घेरा है रात्रिकाल सुख का डेरा है मधुमासी समीर परिमल भी सखि! अभाव केवल तेरा है। बैठ रसाल डाल तरुवर पर मीठे बोल सुना जा ना! आ विदायी दे दें ठिठुरन को अलसाई जन-मन अनबन को हम दोनों चल रूप निहारें बैठ मास वासंती तन को। देख मानना नेह निमन्त्रण करना कोई बहाना ना!! पतझड़ देख लगे ऐसे कि चीर प्रकृत छोड़ रही सी एक यौवना पहन वसन नव करे अलंकृत तन जैसे कि। कूक रहे बच्चे बागों । आ! इनसा कोई दीवाना ना। दिखे गगन यह कोरा कोरा नही पड़ा बादल का डोरा पता तुझे कल इन्ही दिनों में मेघों ने भू तल सर बोरा। बीत गई पुर साल बिना सखि! अब कहीं समय बिताना ना। कर दिनकर हौले होले हैं कृषकों ने कर-पग खोले हैं कहीं कनिक सरसों लहलहावे कहीं ईख गन्ने छोले हैं। सौरभ सुरभि आए बौरों से बौर खिले !बौराना ना!! कोकिल अब तो आ जाना! -अविरल⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[8:27 PM, 2/21/2017] +91 98896 97675: ⁠⁠⁠वाह क्या बात है
⁠⁠⁠⁠8:27 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 89541 07729कवि विनय फरेंजिया"विभोर"⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[8:28 PM, 2/21/2017] +91 89541 07729: ⁠⁠⁠एक शेर:- उदण्डता पर उतारू हैं हमारी आदतें जानम.. तुमसे बात करने का बहाना ढूंढ लेती हैं!!!!! 💐💐विनय फरेंजिया"विभोर"💐💐💐 इटावा(उत्तर प्रदेश) Mob:-8954107729
⁠⁠⁠⁠8:28 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠TODAY⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591 joined via an invite link⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567 added +91 97644 74786⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠YESTERDAY⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[10:06 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠Sorry plz
⁠⁠⁠⁠10:06 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 89541 07729कवि विनय फरेंजिया"विभोर"⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠एक शेर:- उदण्डता पर उतारू हैं हमारी आदतें जानम.. तुमसे बात करने का बहाना ढूंढ लेती हैं!!!!! 💐💐विनय फरेंजिया"विभोर"💐💐💐 इटावा(उत्तर प्रदेश) Mob:-8954107729⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[10:08 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠wwah
⁠⁠⁠⁠10:08 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 83828 08591Mr Rahul Trivedi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[10:26 PM, 2/21/2017] +91 83828 08591: ⁠⁠⁠🔰यूपी पुलिस उत्तर प्रदेश🔰 🚷सावधान🚯 अगर आपके घर कोइ स्वाईन फ्लू की औषध लेकर आये व् नगर पलिका या किसी सामाजिक संस्था से आया हुआ बताये और दवा पीने कहे तो उसे ना पिये. वो बेहोश करने वाली दवा होती है. वे बेहोश करके घर का समान चोरी कर लेते है. ऐसे काइ गिरोह सक्रिय है. कृपया सावधान रहे और घर व आसपास सभी को बताये. यूपी पुलिस ———————
⁠⁠⁠⁠10:26 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97644 74786🅕🅘🅡🅞🅩 ꀘꃅꍏꈤ⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:21 PM, 2/21/2017] +91 97644 74786: ⁠⁠⁠शुक्रिया🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
⁠⁠⁠⁠11:21 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:21 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠Swgat hai
⁠⁠⁠⁠11:21 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:22 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠सभी मित्रों दोस्तों और आदरणीय बड़े गुरुजनों को प्रणाम करता हूं एक रचना आपसे कुछ इस प्रकार लिखी है तो सभी के बीच रखना चाहता हूं क्योंकि बहुत अत्यधिक जानकारी नहीं रखता मैं इसलिए जो भी है जिस प्रकार पर लिख पाता हूं वही डालता हूं तो सभी का ध्यान चाहूंगा और क्या आप हम यहां हैं इसमें मूवी मुझे बताई जाए
⁠⁠⁠⁠11:22 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠सभी मित्रों दोस्तों और आदरणीय बड़े गुरुजनों को प्रणाम करता हूं एक रचना आपसे कुछ इस प्रकार लिखी है तो सभी के बीच रखना चाहता हूं क्योंकि बहुत अत्यधिक जानकारी नहीं रखता मैं इसलिए जो भी है जिस प्रकार पर लिख पाता हूं वही डालता हूं तो सभी का ध्यान चाहूंगा और क्या आप हम यहां हैं इसमें मूवी मुझे बताई जाए⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:24 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠स्वागत है
⁠⁠⁠⁠11:24 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:34 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠फिर पलट कर देख लूंगा, अश्क फिर बहने लगेंगे।। आवारा देखो बन गया है। लोग फिर कहने लगेंगे।। फिर मोहब्बत पास होगी। दर्द फिर सहने लगेंगे।। फिर करीब आएगा कोई। फिर इश्क में रहने लगेंगे।। दिल की कलियां फिर खिलेंगी। लोग फिर जलने लगेंगे।। फिर किसी की आस होगी। और हम मचलने लगेंगे।। फिर से मीठी बातें होंगी। फिर से मुलाकात होंगी।। फिर गमो का दरिया होगा। फिर से वो टोहने लगेंगे।। फिर से जगती रातें होंगी। फिर खुद से मेरी बातें होंगी।। क्यों किया था इश्क मुझसे। फिर से वो कहने लगेंगे।। फिर हाथ में मेहंदी सजेगी। ढोल फिर बजने लगेंगे।। फिर कहीं डोली उठेगी। फिर से हम रोने लगेंगे।। सोचता हूं इसलिए मैं। दूर तनहा ही सही हूं।। फिर पलट कर देख लूंगा। अश्क फिर बहने लगेंगे।। सभी मित्रों का पर थोड़ा सा ध्यान चाहूंगा कृपया थोड़ा समय देखकर कि हम देखें और कमियां बताएं सह धंयवाद मैं अभि शायराना मेरठ
⁠⁠⁠⁠11:34 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:42 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠फिर पलट कर देख लूंगा, अश्क फिर बहने लगेंगे।। बन गया आंवारा देखो। लोग फिर कहने लगेंगे।। फिर मोहब्बत पास होगी। दर्द फिर सहने लगेंगे।। फिर करीब आएगा कोई। इश्क में रहने लगेंगे।। दिल की कलियां फिर खिलेंगी। लोग फिर जलने लगेंगे।। फिर किसी की आस होगी।भाव फिर ढलने लगेंगे।। फिर से मीठी बात होगी। गम का दरिया साथ होगा। ख्वाब में बहने लगेंगे।। फिर से जगती रातें होंगी। फिर खुद से मेरी बातें होंगी।। क्यों किया था इश्क मुझसे। फिर से वो कहने लगेंगे।। हाथ में मेहंदी सजेगी। ढोल फिर बजने लगेंगे।। फिर कहीं डोली उठेगी। फिर से हम रोने लगेंगे।। सोचता हूं इसलिए मैं। दूर तनहा ही सही हूं।। फिर पलट कर देख लूंगा। अश्क फिर बहने लगेंगे।। सभी मित्रों का पर थोड़ा सा ध्यान चाहूंगा कृपया थोड़ा समय देखकर कि हम देखें और कमियां बताएं सह धंयवाद मैं अभि शायराना मेरठ
⁠⁠⁠⁠11:42 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:42 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠और भी सुधार होगा
⁠⁠⁠⁠11:42 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠0:20⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠11:43 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠0:57⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠11:46 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:47 PM, 2/21/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠
🙏🏻
⁠⁠⁠⁠11:47 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 74172 41331अभि शायराना⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:47 PM, 2/21/2017] +91 74172 41331: ⁠⁠⁠🙏🙏🙏🙏
⁠⁠⁠⁠11:47 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99360 16376Ambuj Tripathi⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠फिर पलट कर देख लूंगा, अश्क फिर बहने लगेंगे।। बन गया आंवारा देखो। लोग फिर कहने लगेंगे।। फिर मोहब्बत पास होगी। दर्द फिर सहने लगेंगे।। फिर करीब आएगा कोई। इश्क में रहने लगेंगे।। दिल की कलियां फिर खिलेंगी। लोग फिर जलने लगेंगे।। फिर किसी की आस होगी।भाव फिर ढलने लगेंगे।। फिर से मीठी बात होगी। गम का दरिया साथ होगा। ख्वाब में बहने लगेंगे।। फिर से जगती रातें होंगी। फिर खुद से मेरी बातें होंगी।। क्यों किया था इश्क मुझसे। फिर से वो कहने लगेंगे।। हाथ में मेहंदी सजेगी। ढोल फिर बजने लगेंगे।। फिर कहीं डोली उठेगी। फिर से हम रोने लगेंगे।। सोचता हूं इसलिए मैं। दूर तनहा ही सही हूं।। फिर पलट कर देख लूंगा। अश्क फिर बहने लगेंगे।। सभी मित्रों का पर थोड़ा सा ध्यान चाहूंगा कृपया थोड़ा समय देखकर कि हम देखें और कमियां बताएं सह धंयवाद मैं अभि शायराना मेरठ⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[6:49 AM, 2/22/2017] +91 99360 16376: ⁠⁠⁠सुन्दर
⁠⁠⁠⁠6:49 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[6:54 AM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠सभी मित्रों को सुप्रभात आप सभी का दिन मंगलमय हो।
⁠⁠⁠⁠6:54 AM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[7:45 AM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠ताश का जोकर और अपनों की ठोकर, अक्सर बाजी घुमा देती है। अपनी सहनशीलता को बढाइए। छोटी मोटी घटना से हताश मत होईये। जो चंदन घिस जाता है,वह भगवान के मस्तक पर लगाया जाता है; और जो नही घिसता वह तो सिर्फ मुर्दे जलाने के काम ही आता है! 🙏🏻🙏🏻सुप्रभात🙏🏻🙏🏻
⁠⁠⁠⁠7:45 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97644 74786🅕🅘🅡🅞🅩 ꀘꃅꍏꈤ⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[10:32 AM, 2/22/2017] +91 97644 74786: ⁠⁠⁠अकेले में सदा मिलने का वो फ़रमान देते हैं, चुराई जब नज़र उनसे मुहब्बत मान लेते हैं, किनारा कर गया जालिम हमारी ज़िंदगी से अब, करें क्या ज़िंदगी भर हम जुदा ही मान लेते हैं, बिछड़ कर हम मुहब्बत से बता जालिम जिएं कैसे, कफस है ज़िस्म ये अब तो, ख़ुदा हम मान लेते हैं, छुपाता है ज़माने से दिले नादां मुहब्बत को, ख़बर फैली हवाओं से , सभी पहचान लेते हैं, नशीली आंख का जादू हमें मदहोश कर जाए, फ़कत इक पल का मंज़र था उमर भर मान लेते हैं, पढ़ा करती हैं नज़रों की इबारत सब मेरी आंखें, झुकी पलकों की चाहत को मुहब्बत मान लेते हैं, "मनोरम"मुस्कुराहट से भरम पाले मुहब्बत का, कशिश से भर तड़पता दिल वो क्यों कर जान लेंते हैं, 🖍 मनोरमा श्रीवास्तव
⁠⁠⁠⁠10:32 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 81021 65313स्वरा🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[10:40 AM, 2/22/2017] +91 81021 65313: ⁠⁠⁠क्या है रिश्ता उससे मेरा मुझे मालूम नही दिल कहता है,,, वो मेरीमोहब्बत है दिमाग कहता है,,, वो किसी और की अमानत है साँसे कहती है,,, वो तेरी जिंदगी है पर छलकते आंसू कहते है,,, तेरा सबकुछ उसका है पर वो तेरा नही,,,।।
⁠⁠⁠⁠10:40 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80905 42211प्रियांश⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[10:41 AM, 2/22/2017] +91 80905 42211: ⁠⁠⁠तू पसन्द आ गयी ये मेरी नजर का कसूर था। फ़क़त तेरी आँखों में भी इश्क का सुरूर था। एक दिन जब खायी ठोकर तुझसे हमने उतर गया जो चढ़ा मोहब्बत का फितूर था। ~~प्रियांश
⁠⁠⁠⁠10:41 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 81021 65313स्वरा🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:22 AM, 2/22/2017] +91 81021 65313: ⁠⁠⁠मेरे दर्दे जख़्म की दवा न करो मेरे जीने की अब, तुम दुआ न करो ।। दब गए है सनम तेरे एहसान से अब खुदा के लिए,तुम वफ़ा न करो ।। स्याह सी जिंदगी,उसपे तेरे सितम बात साथ की अब, बेवज़ह न करो ।। दान जीवन का तुमने है मुझको दिया ऐ हंसी मौत अब यूं, तुम जफ़ा न करो ।। जल रही है जमीं, मेरे दिल की "स्वरा" और अब इस अगन पे तुम हवा न करो ।।
⁠⁠⁠⁠11:22 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97644 74786🅕🅘🅡🅞🅩 ꀘꃅꍏꈤ⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:33 AM, 2/22/2017] +91 97644 74786: ⁠⁠⁠" हौंसला आग में भी फूल खिला देता है" जज्ब ए उल्फत बिछुड़ों को मिला देता है। मक़सदे पाक मंजिल को करीबतर ला देता है। किरदार ग़र ऊँचा औ ज़हीन हो आदमी का, शोहरत को बुलन्दी ए हिमाला पर पहुंचा देता है। कुदरत के कानून की बारीकियों से समझ लेना, हर शैय में इंसाँ को एहसासे नूरे खुदा करा देता है। हर जर्रा, जानवर अहम है रवानीए काइनात के लिए, ये राज़े हक़ीक़ते ख़लक सबको सबका बना देता है। अख़लाको ईमान जानो शान है इंसानियत की, इनका न रहना हयाते ख़लकत पे क़हर ढा देता है। जन्नतो दोजख़ इसी जमीन पर मौजूद हैं दोनों, सिलसिलाए जज्बे कदीम आसमाँ पर बैठा देता है। मयखानों में जुटती भीड़ सुबूत है इस बात का , के हाले दीवानगी हर रूहे बशर को पनपा देता है। आगोशे ज़ोज़ाए खुद सी उल्फतो लुत्फ और कहाँ, नज़रो का धोखा आदमी को कोठे में धकिया देता है। तहलान ने कुछ कुछ समझा मन का तरीकाए वारदात, ये ख़ाम ख़याली में उलझा कर रूह को भटका देता है। ज़र जोरू जमीन अक्सर बाइस बनते हैं फसादों के , मजहब का लगा पलोह इन्हें और भड़का देता है। खुदीए खुद जज्बा ए खुद्दारी की पासबाँ ग़र बने, खिदमते खलक से बशर खुदा को रिझा देता है। 🖍 ना मालूम
⁠⁠⁠⁠11:33 AM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:36 AM, 2/22/2017] +91 97644 74786: ⁠⁠⁠ऐ ग़म ! ज़रा ठहर जा, दो पल को साँस ले लूँ। थक सा गया हूँ चलते - चलते मैं साथ तेरे।। ©अकेला इलाहाबादी
⁠⁠⁠⁠11:36 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 80053 51425AKHILESH⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[12:45 PM, 2/22/2017] +91 80053 51425: ⁠⁠⁠इस वीडियो में जो लेडीज है यह शायद हो सकता है की भारत मे कोई अनाथ आश्रम चला रही हो और इसकी आड़ मे यह खूब धन भी बटोर रही हो.......इसने बच्चो के साथ जो किया है इस विडियो को पुरे भारत मे फेलाओ शायद इसे कोई पहचान ले और इसको सजा मिल सके.... उन बेचारे छोटे बच्चो की दुआ लगेगी pls pls pls forward to all this video clip.... प्लीज शेयर करो बच्चों की दुआ मिलेगी और बच्चे इस चुड़ैल से बच् जायेंगे
⁠⁠⁠⁠12:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98896 97675shivam sharma gumnam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[12:45 PM, 2/22/2017] +91 98896 97675: ⁠⁠⁠कहाँ तुम साथ हो मेरे सफ़र अच्छा नहीं लगता... https://youtu.be/Cc1gj1pps9s मोहब्बत का कुछ गुमनाम अंदाज़... (कवि शिवम् शर्मा गुमनाम, कानपुर)
⁠⁠⁠⁠12:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 87178 76565dineshmalvi 1012⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:32 PM, 2/22/2017] +91 87178 76565: ⁠⁠⁠गर्दिश की रात में इतना हार गया लिबास पहने रहा बदन उतार गया मस्तमौला ना जी सका अपनी उम्र घर के लोगों का गुनाह गार गया दौलत कमाने में लगा दिया जीवन अकेले ही इस दुनिया के पार गया खाली हाथ आया खाली हाथ जाये सबक देता सिकंदर सरदार गया भोपाली जिंदगी का यही तमाशा उसकी पेशी मैं हर अय्यार गया कवि दिनेश भोपाली
⁠⁠⁠⁠2:32 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 95069 17180zmpl08⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[3:26 PM, 2/22/2017] +91 95069 17180: ⁠⁠⁠वैलेन्टाइन डे पर एक आशिक के दर्द को अभिव्यक्त करती मेरी ये पंक्तियाँ :- मोहब्बत की सदाओ का यही, अंजाम देखा है , तडपते प्यार मे लड़को को हमने, आम देखा है ! किसी ने भी वफाओ को न उनके, आज तक जाना ! कि जब देखा है लड़कों को ही पिटते, आम देखा है ! निभाने प्यार जिसने खुद के, घर तक भी जलाये हैं , उन्हे ही दिल की गलियों मे ही, लुटते आम देखा है ! न पहुँचा आज भी वो शख्स, अपने प्रेम की मंजिल, कि जिसको हमने पिटते राह 'यश', हर शाम देखा है ! कवि शिव इलाहाबादी 'यश' कवि एवं लेखक मो.-7398328084 ©All Rights Reserved@kavishivallahabadi
⁠⁠⁠⁠3:26 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 81021 65313स्वरा🌹⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[4:16 PM, 2/22/2017] +91 81021 65313: ⁠⁠⁠तुझे चाहने का जुर्म ही तो किया था हमने तुमने तो पल पल मरने की सज़ा ही दे दी
⁠⁠⁠⁠4:16 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:17 PM, 2/22/2017] +91 81021 65313: ⁠⁠⁠गुनाह पे गुनाह किये जा रहे हो जिंदगी मेरी तबाह किये जा रहे हो
⁠⁠⁠⁠4:17 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 97644 74786🅕🅘🅡🅞🅩 ꀘꃅꍏꈤ⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠अकेले में सदा मिलने का वो फ़रमान देते हैं, चुराई जब नज़र उनसे मुहब्बत मान लेते हैं, किनारा कर गया जालिम हमारी ज़िंदगी से अब, करें क्या ज़िंदगी भर हम जुदा ही मान लेते हैं, बिछड़ कर हम मुहब्बत से बता जालिम जिएं कैसे, कफस है ज़िस्म ये अब तो, ख़ुदा हम मान लेते हैं, छुपाता है ज़माने से दिले नादां मुहब्बत को, ख़बर फैली हवाओं से , सभी पहचान लेते हैं, नशीली आंख का जादू हमें मदहोश कर जाए, फ़कत इक पल का मंज़र था उमर भर मान लेते हैं, पढ़ा करती हैं नज़रों की इबारत सब मेरी आंखें, झुकी पलकों की चाहत को मुहब्बत मान लेते हैं, "मनोरम"मुस्कुराहट से भरम पाले मुहब्बत का, कशिश से भर तड़पता दिल वो क्यों कर जान लेंते हैं, 🖍 मनोरमा श्रीवास्तव⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:43 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠भव्य रचना
⁠⁠⁠⁠4:43 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 87178 76565dineshmalvi 1012⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠गर्दिश की रात में इतना हार गया लिबास पहने रहा बदन उतार गया मस्तमौला ना जी सका अपनी उम्र घर के लोगों का गुनाह गार गया दौलत कमाने में लगा दिया जीवन अकेले ही इस दुनिया के पार गया खाली हाथ आया खाली हाथ जाये सबक देता सिकंदर सरदार गया भोपाली जिंदगी का यही तमाशा उसकी पेशी मैं हर अय्यार गया कवि दिनेश भोपाली⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:44 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠गजब भोपाली जी
⁠⁠⁠⁠4:44 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 95069 17180zmpl08⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠वैलेन्टाइन डे पर एक आशिक के दर्द को अभिव्यक्त करती मेरी ये पंक्तियाँ :- मोहब्बत की सदाओ का यही, अंजाम देखा है , तडपते प्यार मे लड़को को हमने, आम देखा है ! किसी ने भी वफाओ को न उनके, आज तक जाना ! कि जब देखा है लड़कों को ही पिटते, आम देखा है ! निभाने प्यार जिसने खुद के, घर तक भी जलाये हैं , उन्हे ही दिल की गलियों मे ही, लुटते आम देखा है ! न पहुँचा आज भी वो शख्स, अपने प्रेम की मंजिल, कि जिसको हमने पिटते राह 'यश', हर शाम देखा है ! कवि शिव इलाहाबादी 'यश' कवि एवं लेखक मो.-7398328084 ©All Rights Reserved@kavishivallahabadi⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:45 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠यश जी भाव विभोर कर दिया आपने
⁠⁠⁠⁠4:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[4:45 PM, 2/22/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
⁠⁠⁠⁠4:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:45 PM, 2/22/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠सबके लिए
⁠⁠⁠⁠4:45 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 87178 76565dineshmalvi 1012⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠गजब भोपाली जी⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:46 PM, 2/22/2017] +91 87178 76565: ⁠⁠⁠शुक्रिया आदरणीय
⁠⁠⁠⁠4:46 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:46 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠ईश्वर आप सभी का कल्याण करे सदैव खुश रहिये और निरन्तर उन्नति के मार्ग पे अग्रसर रहे। राम किशोर शुक्ला सीतापुर (यू पी)
⁠⁠⁠⁠4:46 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠0:10⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠4:47 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠0:10⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[4:47 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠आवाज नहीं आरही है।
⁠⁠⁠⁠4:47 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88960 98567कवि दीपक अवस्थी⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[4:48 PM, 2/22/2017] +91 88960 98567: ⁠⁠⁠i am travelling
⁠⁠⁠⁠4:48 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94739 81992RAJAT SHUKLA⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[4:49 PM, 2/22/2017] +91 94739 81992: ⁠⁠⁠Ok
⁠⁠⁠⁠4:49 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 94526 32495sangam lal bhawan⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[5:11 PM, 2/22/2017] +91 94526 32495: ⁠⁠⁠🌺🌺🌺🌺ग़ज़ल🌺🌺🌺🌺 दर्दे दिल है बहुत क्यों बतायें तुम्हें | तेज धड़कन चले क्यों सुनायें तुम्हें || तुमसे माँगा है कुछ भी तो इंकार दी | जल गई अब शमाँ क्यों बुलायें तुम्हें || तुमने पूछा नहीं किसलिये दर्द है | तुमने ढाये सितम क्यों बतायें तुम्हें || मेरा रब़ जानता कितना चाहा तुझे | क्यूँ हुआ ख़ूनेदिल क्यों बतायें तुम्हें || कल चमन में मुलाकात हो ही गई | दिल परेशाँ हुआ क्यों बतायें तुम्हें || उस ख़ुदा की कसम मुझसे मत पूछिये | आख़िरी था मिलन क्यों बतायें तुम्हें || डॉ.संगमलाल त्रिपाठी "भँवर "
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