एक सुन्दर तस्वीर दिखाई थी तुम्हारी आँखों ने।
जीने की तरक़ीब सिखाई थी तुम्हारी आँखों ने।।
तुम कैसे जानोगे, तुम तो चन्द दिनों में चले गए।
मुझमें एक उम्मीद जगाई थी तुम्हारी आँखों ने।।
अभि शायराना
जीने की तरक़ीब सिखाई थी तुम्हारी आँखों ने।।
तुम कैसे जानोगे, तुम तो चन्द दिनों में चले गए।
मुझमें एक उम्मीद जगाई थी तुम्हारी आँखों ने।।
अभि शायराना
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