मधुशाला छंद-
प्रीत से हँसना हमे सिखाकर ,अब क्यों तुम खिलना छोडे
क्यों हमसे प्रिय रूठ गये हो, और अभी क्यों मुख मोडे
अदरों पर पुन लाली चमके , ऐसा मुझको वर दे दो
मन नही भरता हे ! मधुप्रिया , हृदय उदास भवन तोडो।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
प्रीत से हँसना हमे सिखाकर ,अब क्यों तुम खिलना छोडे
क्यों हमसे प्रिय रूठ गये हो, और अभी क्यों मुख मोडे
अदरों पर पुन लाली चमके , ऐसा मुझको वर दे दो
मन नही भरता हे ! मधुप्रिया , हृदय उदास भवन तोडो।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
बहुत बहुत आभार उत्साहवर्धन कर स्नेहाशीष प्रदान करने हेतु आ नदीम जी
ReplyDeleteswagat hai aapka bhai
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