Sapne sajata Raha ME kuchh Soch Soch kar
सपने सजाता रहा में कुछ सोच सोच कर
तुमने सब गिरा दिया कील ठोंक ठोंक कर
सोचा संग मिला है तेरा कलम चलती रहेगी मेरी
पर तुमने यादों को भी खा लिया नोच नोच कर
तोडा था दिल मेरा कुछ इस तरह से तुमने
कसम से मै थक ही गया उसे जोड़ जोड़ कर
लिखूं में गीत गजल अब तेरी यादों में कैसे
जागता रहा में रात भर यही सोच सोच कर
सुना था दशरथ ने तोडा मांझी के लिए पर्वत
कोशिस कि ,पर थक गया दो ईंट फोड़ फोड़ कर
मिन्नत मांगी दुआ मांगी जब प्रसाद चढ़ाया
भगवान् बोले,अभी आता रह बेटा लौट लौट कर
इतना हसाया इतना बताया तुझे मिला क्या नदीम
दोस्त भी जा रहें हैं आज तुझे छोड़ छोड़ कर
Kavi Nadeem Jagdishpur
8795124923
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