मैं नज़र से पी रहा हूँ .. ये समा बदल न जाए ...
न झुकाओ तुम निगाहें ... कही रात .. ढल न जाए ;
.
मेरे अश्क भी हैं इस में .. ये शराब उबल न जाए...
मेरा जाम छूने वाले .. तेरा हाथ .. जल न जाए ;
.
अभी रात कुछ है बाक़ी .. न उठा नक़ाब साक़ी ....
तेरा रिन्द गिरते गिरते .. कहीं फिर .. संभल न जाए ;
.
मेरी ज़िंदगी के मालिक .. मेरे दिल पे हाथ रखना ...
तेरे आने की खुशी में .. मेरा दम.. निकल न जाए ;
.
मुझे फूंकने से पहले .. मेरा दिल निकाल लेना ...
ये किसी की है अमानत .. कहीं साथ .. जल न जाए..."
.
~~~~~~~ ' अनवर मिर्ज़ापु
न झुकाओ तुम निगाहें ... कही रात .. ढल न जाए ;
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मेरे अश्क भी हैं इस में .. ये शराब उबल न जाए...
मेरा जाम छूने वाले .. तेरा हाथ .. जल न जाए ;
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अभी रात कुछ है बाक़ी .. न उठा नक़ाब साक़ी ....
तेरा रिन्द गिरते गिरते .. कहीं फिर .. संभल न जाए ;
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मेरी ज़िंदगी के मालिक .. मेरे दिल पे हाथ रखना ...
तेरे आने की खुशी में .. मेरा दम.. निकल न जाए ;
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मुझे फूंकने से पहले .. मेरा दिल निकाल लेना ...
ये किसी की है अमानत .. कहीं साथ .. जल न जाए..."
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~~~~~~~ ' अनवर मिर्ज़ापु
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