मां शारदे:::
***
पीली चुनरी पहन धरती
खुशी से इठलाई है
बसंत की रौनक आसमां
तक छायी है
मां शारदे का आशीश पाने
ये उत्सव आया है
मां शारदे की करो वंदना
मंगल पर्व आया है
सरस्वति मां की कृपा से
लेखन सुन्दर हो जायेगा !
पीली चादर ,नारंगी फूल
सौन्दर्य अद्भुत धरा है !
भंवरों ने संगीत गाया
माहौल संगीतमय हुआ !
धरती से गगन तक
सौन्दर्य अप्रतिम बिखरा है !
यौवन के भार तले
कली कली मुस्काई है!
ले अगड़ाई कोयल कूहके
वसुन्धरा शर्मायी है!
शीत ऋतु ने बिस्तर बांधा
हंस के मांगी विदाई है !
मधुमास के इस मौसम में
विरहनियां अकुलाईं है !
खेतों में चलें मस्त हवायें
खुश्बू से मदहोश करें !
धानी चुनर पर कर श्रंगार
आभूषणों से हो तैयार
धरती इठलाई है !
आया बसंत हर्षाया तन मन
प्रकृति ने स्वांग रचाया है!
जेठ की तपती दोपहर से पहले
प्यार मन में पनपाया है !
आओ करें नमन मां शारदे को
आशीर्वाद अपना बनाये रखना !
बुद्धी कौशल का सदुपयोग
हित के कार्यों मे लगाये रखना !
नमन मां बारम्बार नमन!!!
नमिता दुबे
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पीली चुनरी पहन धरती
खुशी से इठलाई है
बसंत की रौनक आसमां
तक छायी है
मां शारदे का आशीश पाने
ये उत्सव आया है
मां शारदे की करो वंदना
मंगल पर्व आया है
सरस्वति मां की कृपा से
लेखन सुन्दर हो जायेगा !
पीली चादर ,नारंगी फूल
सौन्दर्य अद्भुत धरा है !
भंवरों ने संगीत गाया
माहौल संगीतमय हुआ !
धरती से गगन तक
सौन्दर्य अप्रतिम बिखरा है !
यौवन के भार तले
कली कली मुस्काई है!
ले अगड़ाई कोयल कूहके
वसुन्धरा शर्मायी है!
शीत ऋतु ने बिस्तर बांधा
हंस के मांगी विदाई है !
मधुमास के इस मौसम में
विरहनियां अकुलाईं है !
खेतों में चलें मस्त हवायें
खुश्बू से मदहोश करें !
धानी चुनर पर कर श्रंगार
आभूषणों से हो तैयार
धरती इठलाई है !
आया बसंत हर्षाया तन मन
प्रकृति ने स्वांग रचाया है!
जेठ की तपती दोपहर से पहले
प्यार मन में पनपाया है !
आओ करें नमन मां शारदे को
आशीर्वाद अपना बनाये रखना !
बुद्धी कौशल का सदुपयोग
हित के कार्यों मे लगाये रखना !
नमन मां बारम्बार नमन!!!
नमिता दुबे
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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