मुक्तक
आकर तेरी बाहों में मैं ऐसे सँवर जाती
बसती तेरी धड़कन में और दिल में उतर जाती
छूती तेरे एहसास के हर पहलू को जाना
तेरे जिस्म की खुशबू को पाकर के निखर जाती
सरिता सिंघई कोहिनूर
आकर तेरी बाहों में मैं ऐसे सँवर जाती
बसती तेरी धड़कन में और दिल में उतर जाती
छूती तेरे एहसास के हर पहलू को जाना
तेरे जिस्म की खुशबू को पाकर के निखर जाती
सरिता सिंघई कोहिनूर
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