ग़ज़ल
ब-ज़ाहिर तो रेज़ाकारी करे है
बजाय-ए-हक़ तरफ़दारी करे है
बहर उन्वान ऐयारी करे है
मगर बातें बड़ी प्यारी करे है
ज़माना पीरो मुर्शिद कह रहा है
ग़ज़ब की वो फुसूँकारी करे है
नहीं होती है तकमीले तमस्सुक
मगर फ़रमान तो जारी करे है
समझये अब उसे फ़ासिक़ नहीं जो
मुसलसल नाज़ बरदारी करे है
नहीं कल से भी दुनिया बाख़बर है
मगर बरसों की तैयारी करे है
गदागर कब कोई फ़ितरत से होता
गदाई उसकी लाचारी करे है
बशक्ले सन्खिया है तल्ख़ लेहजा
ज़रा सा भी असर कारी करे है
मसलख़ाँ मैं कहूँ हशमत के शायर
तू बातें तो बहुत सारी करे है
✏ Md Hashmat Ali Ansari
ब-ज़ाहिर तो रेज़ाकारी करे है
बजाय-ए-हक़ तरफ़दारी करे है
बहर उन्वान ऐयारी करे है
मगर बातें बड़ी प्यारी करे है
ज़माना पीरो मुर्शिद कह रहा है
ग़ज़ब की वो फुसूँकारी करे है
नहीं होती है तकमीले तमस्सुक
मगर फ़रमान तो जारी करे है
समझये अब उसे फ़ासिक़ नहीं जो
मुसलसल नाज़ बरदारी करे है
नहीं कल से भी दुनिया बाख़बर है
मगर बरसों की तैयारी करे है
गदागर कब कोई फ़ितरत से होता
गदाई उसकी लाचारी करे है
बशक्ले सन्खिया है तल्ख़ लेहजा
ज़रा सा भी असर कारी करे है
मसलख़ाँ मैं कहूँ हशमत के शायर
तू बातें तो बहुत सारी करे है
✏ Md Hashmat Ali Ansari
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