गीत :-
प्यार गगन से जब से लुफ्त हुआ
मै दीवाना तब चुप हुआ
कह दी उसने जब अनजानी बातें
दिल मेरा यह सुनकर बुक हुआ
रो रो कर मैंने इंकार किया
हस हस कर उसने स्वविकार किया
किया उलंघन दर्द का मेरे
दिल पर सीधे वार किया
प्यार गगन से जब से जब लुफ्त हुआ................2
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