मुक्तक :-
उड़े थे ख़त मोहब्बत के नजारा सब ने देखा था
हुई बरसात थी जब फिर फव्वारा सब ने देखा था
ये कैसी शान है तेरी वफ़ा के नाम पर दिलवर
बहे आंसू थे मेरे जब इशारा सब ने समझा था
उड़े थे ख़त मोहब्बत के नजारा सब ने देखा था
हुई बरसात थी जब फिर फव्वारा सब ने देखा था
ये कैसी शान है तेरी वफ़ा के नाम पर दिलवर
बहे आंसू थे मेरे जब इशारा सब ने समझा था
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