(मनहरण घनाक्षरी
वार्णिक छंद)
8887 8887 8887 8887
आन मान शान हेतु
वीरो के सम्मान हेतु
आज सबके दिल में
स्थान होना चाहिए।
जाति-पाति भूलकर
भेदभाव छोड़कर
साथ-साथ चलने का
भाव होना चाहिए।
सुख दुःख बाट सके
सही झूठ नाप सके
अपने सीने में ऐसा
बीज बोना चाहिए
सदा करो मीठी बात
छूटे ना किसी का साथ
ऐसा प्रेम भाव लिए
हमे जीना चाहिए।
कवि नदीम
अमेठी उत्तर प्रदेश
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