जात पात राग द्वेष धर्म मूल भूल फूल ,एकता का देश में खिले तू वो बहार दे
अन्न का भरे भण्डार उन्नति करे व्योपार , ख़त्म मंदी की हो मार ऐसा तू निखार दे
ज्ञान की बहें बयार शिक्षा का भी हो प्रसार , देश में रहे प्यार तू वतन संवार दे
हाथ जोड़ वंदना है ,ये हमारी प्रार्थना है ,ऐसा वर दे तू वरदायिनी माँ शारदे
मनोज"मोजू"
अन्न का भरे भण्डार उन्नति करे व्योपार , ख़त्म मंदी की हो मार ऐसा तू निखार दे
ज्ञान की बहें बयार शिक्षा का भी हो प्रसार , देश में रहे प्यार तू वतन संवार दे
हाथ जोड़ वंदना है ,ये हमारी प्रार्थना है ,ऐसा वर दे तू वरदायिनी माँ शारदे
मनोज"मोजू"
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