गणतन्त्र दिवस को मैने देखा,डिस्को के नजारो में।
इसे देखने भीड़ लगी है,शहरो और बाजारों में।।
कौन थे गांधी कौन आजाद,बल्लभ को भी भूल गए ।
देश गान होता है अब तो,शायद कही हजारो में।।
---------अभिमन्यु शुक्ल तरंग
इसे देखने भीड़ लगी है,शहरो और बाजारों में।।
कौन थे गांधी कौन आजाद,बल्लभ को भी भूल गए ।
देश गान होता है अब तो,शायद कही हजारो में।।
---------अभिमन्यु शुक्ल तरंग
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