तेरे क़दमों पे सर होगा क़ज़ा सर पे खड़ी होगी
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बंदगी होगी
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशर
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी
मज़ा आ जायेगा महशर फिर कुछ सुनने सुनाने का
ज़ुबाँ होगीवहाँ मेरी, कहानी आप की होगी
तुम्हें दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी
✏ Seemab Akbarabadi
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बंदगी होगी
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशर
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी
मज़ा आ जायेगा महशर फिर कुछ सुनने सुनाने का
ज़ुबाँ होगीवहाँ मेरी, कहानी आप की होगी
तुम्हें दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी
✏ Seemab Akbarabadi
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