जिसने मुझको रखा कोख मे, जिसने मुझको जाया था
भूखी खुद रह जाती थी पर, मुझको दूध पिलाया था
उस जननी के पदवंदन मे, मै नित शीश झुकाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
मेरा जन्म हुआ तब जिसने, नौबत साज बजाए थे
और तात ने मेरे अरमा, निशिदिन खूब सजाए थे
उसी पिता की पदरज का मै, नित नित तिलक लगाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
जिसने मेरे ज्ञान ध्यान का, सुन्दर सा श्रृंगार किया
जिस गुरुवर ने खुद से ज्यादा, मुझको ही था प्यार किया
ऐसे गुरुवर की छाया मे, सदा स्वयं को पाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
परमपिता परमेश्वर जिसने, सारा खेल रचाया है
जीवन पोषण और मरण सब, एक उसी की माया है
उस प्रभुवर की करूँ वंदना, गीत उसी के गाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
भानु शशी या अम्बर धरती, तरुवर का आभारी हूँ
चल निश्चल या सिंधु अलौकिक, मै तो इक संसारी हूँ
नेह स्नेह की सरिता मे मै, गोते रोज लगाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
प्रिय परिजन परिवार हमारा, मुझको जाँ से प्यारा है
अरि अरु मित्र मुझे प्रिय दोनो, जीवन इन पर वारा है
और आपके श्रीचरणों मे, नमन भोर का गाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
भूखी खुद रह जाती थी पर, मुझको दूध पिलाया था
उस जननी के पदवंदन मे, मै नित शीश झुकाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
मेरा जन्म हुआ तब जिसने, नौबत साज बजाए थे
और तात ने मेरे अरमा, निशिदिन खूब सजाए थे
उसी पिता की पदरज का मै, नित नित तिलक लगाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
जिसने मेरे ज्ञान ध्यान का, सुन्दर सा श्रृंगार किया
जिस गुरुवर ने खुद से ज्यादा, मुझको ही था प्यार किया
ऐसे गुरुवर की छाया मे, सदा स्वयं को पाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
परमपिता परमेश्वर जिसने, सारा खेल रचाया है
जीवन पोषण और मरण सब, एक उसी की माया है
उस प्रभुवर की करूँ वंदना, गीत उसी के गाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
भानु शशी या अम्बर धरती, तरुवर का आभारी हूँ
चल निश्चल या सिंधु अलौकिक, मै तो इक संसारी हूँ
नेह स्नेह की सरिता मे मै, गोते रोज लगाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
प्रिय परिजन परिवार हमारा, मुझको जाँ से प्यारा है
अरि अरु मित्र मुझे प्रिय दोनो, जीवन इन पर वारा है
और आपके श्रीचरणों मे, नमन भोर का गाता हूँ
पुण्य धरा की परिपाटी के, अभिनन्दन मै गाता हूँ
🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई
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