Gajal e chand
लगता है चाँद सूरज कभी
मिलेंगे नहीं
एक गुलदान में दो फूल
खिलेंगे नही
अब क्या दिखाऊं मै जख्मं
तुम्ह्वे यारों
तुम्हारे मरहम लगाने से
ये भरेंगे नहीं
धमकियाँ मिलती रही मुझको
जमाने से
पर ये चाँद जमाने से हम
डरेंगे नहीं *.
तुम्हारे घर वालों ने तो
ख़त जला डाले
पर हम तो यादों में
समाये है जलेंगे नहीं
सुना है अमीरों को
मांगने का शौक होता है
मांग लो तुम “जान ”कुछ
कहेंगे नहीं
क्या सोचती हो तुम
बेझिझक कहो
ये आशूं इक कवि के हैं बहेंगे नहीं
अब वक्त का इन्तजार
क्यू करते हो तुम
चले गए हम दूर तुमसे फिर
मिलेंगे नहीं
अब तुम मुझे परिंदा
समझकर ना छोड़ो
ज़माने में शिकारी बहुत
हैं हम जियेंगे नही
बस इक बार दोस्ती को
मेरे कबूल कर लो
हम अपने कलम से भी कुछ
कहेंगे नहीं
कवि नदीम जगदीशपुरी.
..8795124923
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