गजल ए-बुलंदी
कोशिस है कि तुझे पकड़ लुंगा
ऐ चाँद हाथो में
तू कब तलक बचकर निकलता रहेगा
रातों में
अब तू दूर कहाँ तलक जायेगा
मुझसे बचकर
तुझे बाँध ही लूंगा इक न
इक दिन अपने नातो में
ये सियासत वाले भेद भाव बखूबी
निभाते चले आये
मुझे कोई फर्क नहीं दीखता
किसी के जातो में
मुझसे भी कई शिकायते की करने वालों ने
पर मुझे जरा सी भी सच्चाई
नही दिखी उनकी बातों में
Kavi Nadeem jagdishpur
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