ग़ज़ल'
मेरे दिल को यूँ जलाया देर तक।
वादा करके भी न आया देर तक।।
वो ग़ज़ब की मय पिलाई आंख से।
ये नशा नीचे न आया देर तक।।
हम लगे उसको खिलौनों की तरह।
खेल का नाटक रचाया देर तक।।
की बहुत कोशिश रुलाने की हमें।
ज़ब्त हमने भी दिखाया देर तक।।
करके छलनी तीर से मेरा जिगर।
यास्मीं वो मुस्कुराया देर तक।।
डॉ.यासमीन ख़ान
मेरे दिल को यूँ जलाया देर तक।
वादा करके भी न आया देर तक।।
वो ग़ज़ब की मय पिलाई आंख से।
ये नशा नीचे न आया देर तक।।
हम लगे उसको खिलौनों की तरह।
खेल का नाटक रचाया देर तक।।
की बहुत कोशिश रुलाने की हमें।
ज़ब्त हमने भी दिखाया देर तक।।
करके छलनी तीर से मेरा जिगर।
यास्मीं वो मुस्कुराया देर तक।।
डॉ.यासमीन ख़ान
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