दर्द है किससे बताऊँ मै कैसे
दिल में छुपी है,दिखाऊँ मै कैसे
भूल कर भी मै उसको भुलाता नहीं
ख़ुशी है लबों की छुपाऊं मै कैसे
न चाहकर कर भी दिल जिसे चाहने लगा
संभलकर भी अब ये गिरने लगा है
कोई दे दो सहारा इस मेरे दिल को अब
उनकी यादों में अब ये बहकने लगा है
दर्द है किससे बताऊँ.....................1
बेदर्द है दुनिया प्यार समझती नहीं
मज़बूरी है कितनी बात समझती नहीं
जुल्म-ए-सितम हम वो हम करते रहे
मिली कैसे ख़ुशी बात समझती नहीं
दर्द है किससे बताऊँ मै कैसे
दिल में छुपी है,दिखाऊँ मै कैसे
लब्ज बेचैन हैं कुछ कहने के लिए
मुझको है प्यार बताऊँ मै कैसे I
दर्द है किससे बताऊँ मै कैसे....2
कवि नदीम जगदीशपुरी/8795124923
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