एक दो बार नही हमने तो हजारो बार
तुमको हर रणभूमि पर विछाया है।
माफी मांग ली जब तुमने पैरो पर गिर
हमने उठा तुम्हे सीने पर लगाया है।
भारत की एकता को क्यो तुम बिगाड़ रहे
तु भाई नही मेरा कमीन झलहाया है।
दोगुना पीतल भरेगे तुम्हारी खोपडी मे
घाटी मे जितना तुमने खून बहाया है।
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हिन्दी कवि अंकित चक्रवर्ती
8954702290https://youtu.be/NFIyOrzTDtk
तुमको हर रणभूमि पर विछाया है।
माफी मांग ली जब तुमने पैरो पर गिर
हमने उठा तुम्हे सीने पर लगाया है।
भारत की एकता को क्यो तुम बिगाड़ रहे
तु भाई नही मेरा कमीन झलहाया है।
दोगुना पीतल भरेगे तुम्हारी खोपडी मे
घाटी मे जितना तुमने खून बहाया है।











हिन्दी कवि अंकित चक्रवर्ती
8954702290https://youtu.be/NFIyOrzTDtk
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