है दुआ फिर कोई दगा ना करे
ज़िन्दगी को मेरी सज़ा ना करे
मुश्किल से सूखे हैं ज़ख्म मेरे
फिर से कोई इन्हें हरा ना करे
दुआ ना मिली गम नही कोई
मेरे लिए कोई बद्दुआ ना करे
गर भूल से भी मैं भूला दूँ उसको
हो ऐसी ख़ता, खुदा ना करे
अपने खून से सींचा चमन को मेने
फिर कोई इसे सहरा ना करे
उसकी चुनर पे रंग है मोहब्बत का
कहूँ कैसे बार बार धोया ना करे
शहबाज़
ज़िन्दगी को मेरी सज़ा ना करे
मुश्किल से सूखे हैं ज़ख्म मेरे
फिर से कोई इन्हें हरा ना करे
दुआ ना मिली गम नही कोई
मेरे लिए कोई बद्दुआ ना करे
गर भूल से भी मैं भूला दूँ उसको
हो ऐसी ख़ता, खुदा ना करे
अपने खून से सींचा चमन को मेने
फिर कोई इसे सहरा ना करे
उसकी चुनर पे रंग है मोहब्बत का
कहूँ कैसे बार बार धोया ना करे
शहबाज़
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