जिसने टुकड़े किये हमारी,केशर वाली प्याली के।
जो फूल तोड़कर ले गए थे,मेरी सुन्दर डाली के।
सिंहो की ताकत से अवगत,करवाया हमने उनको।
उनकी छाती पर जा भगवा,दिखलाया हमने उनको।
पकवान जिनको हजम नहीं होते रखे हुए थाली के।
गंगा से सबूत माँग रहे,कीड़े गन्दी नाली के।
🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀
हिंदी कवि अंकित चक्रवर्ती
8954702290
https://youtu.be/OcW7K60d3Ww
जो फूल तोड़कर ले गए थे,मेरी सुन्दर डाली के।
सिंहो की ताकत से अवगत,करवाया हमने उनको।
उनकी छाती पर जा भगवा,दिखलाया हमने उनको।
पकवान जिनको हजम नहीं होते रखे हुए थाली के।
गंगा से सबूत माँग रहे,कीड़े गन्दी नाली के।
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हिंदी कवि अंकित चक्रवर्ती
8954702290
https://youtu.be/OcW7K60d3Ww
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