वो हँसकर दर्द को छुपा रहा है,,
जिंदगी बिना शिकवे के बिता रहा है...
उसको अपनों ने छोड़ दिया है,,
वो आईने को गले लगा रहा है...
वो जो आहों का गीत गा रहा है,,
अपने महबूब को बुला रहा है...
रोते हुए को चुप मत कराओ,,
वो पानी से आग बुझा रहा है...
सारी रात जागकर क्यूँ गुजारे,,
उसे कोई ख्वाब सता रहा है...
वो है तो शायर मगर मेहताब,,
अपनी कहानी ही मिटा रहा है...
#मेहताब_पदमपुरी
जिंदगी बिना शिकवे के बिता रहा है...
उसको अपनों ने छोड़ दिया है,,
वो आईने को गले लगा रहा है...
वो जो आहों का गीत गा रहा है,,
अपने महबूब को बुला रहा है...
रोते हुए को चुप मत कराओ,,
वो पानी से आग बुझा रहा है...
सारी रात जागकर क्यूँ गुजारे,,
उसे कोई ख्वाब सता रहा है...
वो है तो शायर मगर मेहताब,,
अपनी कहानी ही मिटा रहा है...
#मेहताब_पदमपुरी
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