सर्वोच्च न्यायालय के एक दुष्ट वकील प्रशांत भूषण द्वारा भगवान
कृष्ण पर की गयी टिप्पणी पर कवि अमित शर्मा की कविता ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे----
फिर अपमान हुआ भगवन का, फिर से देश अशांत हुआ ।
पता लगाओ किसके खून से,,,,,,,,, पैदा ये प्रशांत हुआ ???
ये प्रशांत वही तो है, तो काश्मीर पर बोला था ।
घाटी में जनमत करवाओ,, अपना जबड़ा खोला था ।
ये प्रशांत वही तो है, जो अपनी ज़िद पर अड़ा मिला ।
अफजल को फाँसी ना हो, इसलिए कोर्ट में खड़ा मिला ।
ये नही कोई सामाजिक व्यक्ति, ना अधिवक्ता लगता है ।
जिहादी हड्डी पर,,,,,,,, पलने वाला कुत्ता लगता है ।
भक्त यदि गर उबल गए तो,, तुमको ठौर नही होगी ।
कृष्ण जैसी छवि जगत में कोई और नही होगी ।
मेरे कान्हा ने दुनिया में, गीता का ज्ञान बहाया है ।
और शाश्वत प्रेम प्रभु ने हम सबको सिखलाया है ।
मित्र सुदामा के सारे दुःख दूर किए थे कृष्ण ने ।
दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोक दिए थे कृष्ण ने ।
माटी में उस दुष्ट कंस को मिला गए थे कान्हा जी ।
सौ सौ ग़लती शिशुपाल की भुला गए थे कान्हा जी ।
लेकिन हद हो जाने पर वो रूप दिखाना पड़ता है ।
सौ गाली के बाद सुदर्शन चक्र उठाना पड़ता है ।
ये अहंकार की कश्ती तुम्हारी, तुम्हें डुबोने वाली है ।
प्रशांत तुम्हारी सौ वी गलती जल्दी होने वाली है ।
उजड़े चमन समझ नही पाया दुनिया के रखवाले को ।
तूने रंगीला बोल दिया,,, प्रशांत बाँसुरी वाले को ।
ये चिंगारी बनी है शोला अबके फटनी निश्चित है ।
अपराध तुम्हारे पूर्ण हुए अब गर्दन कटनी निश्चित है ।
अपराध जघन्य है लेकिन,,,, दुःख प्रभु ही हर सकते है ।
मथुरा जाकर हाथ जोड़ लो कान्हा माफ कर सकते है ।
--- कवि balaram vyas
0 comments:
Post a Comment