कभी पास मेरे भी आया करो
मुहब्बत के किस्से सुनाया करो
नज़र तिरछी करके न यूँ ताकिये
नज़र से नज़र भी मिलाया करो
डगर अब नयी है फिसल जाओगे
क़दम तुम संभलकर बढ़ाया करो
जवां हुस्न बदनाम हो जाएगा
बदन से न पल्लू हटाया करो
सुलगता हूँ उम्मीद की धूप में
मुझे छाँव में तुम बिठाया करो
सजल नीर में आग लग जाएगी
ये पूरा बदन मत डुबाया करो
महक तुमसे गुलशन न माँगे सुनो
बदन को न ज्यादा सजाया करो
हैं दीवाने जो आपके प्यार में
उन्हें उंगली पर मत नचाया करो
अकेला हूँ दामन मेरा थाम लो
समय है सुनहरा न जाया करो
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
9675426080
मुहब्बत के किस्से सुनाया करो
नज़र तिरछी करके न यूँ ताकिये
नज़र से नज़र भी मिलाया करो
डगर अब नयी है फिसल जाओगे
क़दम तुम संभलकर बढ़ाया करो
जवां हुस्न बदनाम हो जाएगा
बदन से न पल्लू हटाया करो
सुलगता हूँ उम्मीद की धूप में
मुझे छाँव में तुम बिठाया करो
सजल नीर में आग लग जाएगी
ये पूरा बदन मत डुबाया करो
महक तुमसे गुलशन न माँगे सुनो
बदन को न ज्यादा सजाया करो
हैं दीवाने जो आपके प्यार में
उन्हें उंगली पर मत नचाया करो
अकेला हूँ दामन मेरा थाम लो
समय है सुनहरा न जाया करो
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
9675426080
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