दूर तक़दीर से कुदरत का लिखा कौन करे
बेवफाई का चलन है तो वफ़ा कौन करे।
जी में आता है कि इक रोज़ बुला लूं उसको
उसकी दहलीज़ कहाँ है ये पता कौन करे।
हो अगर ग़ैर से शिकवे तो मिटाएं अपने
ज़ख़्म अपनों ने दिए हों तो दवा कौन करे।
कल जो गुज़रा है मेरे साथ वो फिर गुज़रेगा
बारहां आपसे उम्मीदएवफ़ा कौन करे।
इस बहाने ही सही चेहरा नज़र तो आया
वर्णा मिश्री में नमक है ये कहा कौन करे।
हमने हर बज़्म में तुमको भी किया था शामिल
फिर जो कहते हों अमित उनको मना कौन करे।।।
~~अमितपुरी शिकोहाबादी।
886098985
बेवफाई का चलन है तो वफ़ा कौन करे।
जी में आता है कि इक रोज़ बुला लूं उसको
उसकी दहलीज़ कहाँ है ये पता कौन करे।
हो अगर ग़ैर से शिकवे तो मिटाएं अपने
ज़ख़्म अपनों ने दिए हों तो दवा कौन करे।
कल जो गुज़रा है मेरे साथ वो फिर गुज़रेगा
बारहां आपसे उम्मीदएवफ़ा कौन करे।
इस बहाने ही सही चेहरा नज़र तो आया
वर्णा मिश्री में नमक है ये कहा कौन करे।
हमने हर बज़्म में तुमको भी किया था शामिल
फिर जो कहते हों अमित उनको मना कौन करे।।।
~~अमितपुरी शिकोहाबादी।
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