प्रेम गीत..!! ( मात्राएँ१६)
!! आओ अधरामृत पान करें !!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आया है मदमाता मौसम,
यौवन ने ली अंगड़ाई है ,
तन मन में उठती है हिलोर,
मस्ती सी सब पर छाई है,
आजाओ ऐसे में प्रियतम,
पूरे अपने अरमान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!१!!
खिल गये फूल उपवन-उपवन,
कलियाँ चटकीं डाली डाली ,
पीली पीली सरसों फूली ,
फैली खेतों में हरियाली ,
है मुदित हुआ मन अपना भी,
जगमग अपना खलिहान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!२!!
माथे पर बिंदिया है झिलमिल,
गालों पर मोहक लाली है ,
सस्मित रक्ताभ अधर दोनों
वक्षों की छटा निराली है।।
सुंदरता की तुम मानक हो,
अब कितना और बखान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!३!!
आगयी निशा महकी महकी,
मन में अनुराग पनपने दो ,
चल रही फागुनी हवा मदिर,
मन को अब और बहकने दो,
तन मन का संगम हो जाये,
मनमोहक नवल विहान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!४!!
----- विद्या भूषण मिश्र "ज़फ़र" -------
----२०/०४/१७ -----
!! आओ अधरामृत पान करें !!
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आया है मदमाता मौसम,
यौवन ने ली अंगड़ाई है ,
तन मन में उठती है हिलोर,
मस्ती सी सब पर छाई है,
आजाओ ऐसे में प्रियतम,
पूरे अपने अरमान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!१!!
खिल गये फूल उपवन-उपवन,
कलियाँ चटकीं डाली डाली ,
पीली पीली सरसों फूली ,
फैली खेतों में हरियाली ,
है मुदित हुआ मन अपना भी,
जगमग अपना खलिहान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!२!!
माथे पर बिंदिया है झिलमिल,
गालों पर मोहक लाली है ,
सस्मित रक्ताभ अधर दोनों
वक्षों की छटा निराली है।।
सुंदरता की तुम मानक हो,
अब कितना और बखान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!३!!
आगयी निशा महकी महकी,
मन में अनुराग पनपने दो ,
चल रही फागुनी हवा मदिर,
मन को अब और बहकने दो,
तन मन का संगम हो जाये,
मनमोहक नवल विहान करें,
आओ अधरामृत पान करें,
आओ अधरामृत पान करें..!!४!!
----- विद्या भूषण मिश्र "ज़फ़र" -------
----२०/०४/१७ -----
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