सुन सखा निराले,कैसे बंधन डाले
मन को बांधें तेरे नैना कंटीले काले
कहाँ मेरा सांवरा,दिल हुआ बाँवरा
देखे राह तेरी बिछा पलक पाँवङा
सुख में भूले कन्हाई,कोई बात नहीं
दुख में यूं दूरी,क्यूं तुम साथ नहीं
निभाओ तुम अपने कर्तव्य और रीत
पर क्या याद नहीं तुम्हें मेरी प्रीत
तुमने लाज रखी मित्र सुदामा की
तुम जी गए लगन गोपी श्यामा की
बंसी बजैया तुम्हें वास्ता बंसी का
सुकून बनो इस रूह छलनी का
रास रचैया,बस अब देर ना करो
वरदानों का हाथ अब आन धरो
यूं ना हो जीते जग के दुख अपार
तेरे दर पे तेरी मीरा जाए हार
देखो गोविंद तुम्हें मेरे प्रेम की आन
व्यर्थ ना जाए कहीं मेरा बलिदान
दर्द पी लूं अगर तू पकङे हाथ
सांस रहने तक रहे तेरा साथ
मैं रहूं ना रहूं,मेरी आस्था बनी रहे
कृष्ण सलोने को कोई छलिया ना कहे
चेतना कौशिक
मन को बांधें तेरे नैना कंटीले काले
कहाँ मेरा सांवरा,दिल हुआ बाँवरा
देखे राह तेरी बिछा पलक पाँवङा
सुख में भूले कन्हाई,कोई बात नहीं
दुख में यूं दूरी,क्यूं तुम साथ नहीं
निभाओ तुम अपने कर्तव्य और रीत
पर क्या याद नहीं तुम्हें मेरी प्रीत
तुमने लाज रखी मित्र सुदामा की
तुम जी गए लगन गोपी श्यामा की
बंसी बजैया तुम्हें वास्ता बंसी का
सुकून बनो इस रूह छलनी का
रास रचैया,बस अब देर ना करो
वरदानों का हाथ अब आन धरो
यूं ना हो जीते जग के दुख अपार
तेरे दर पे तेरी मीरा जाए हार
देखो गोविंद तुम्हें मेरे प्रेम की आन
व्यर्थ ना जाए कहीं मेरा बलिदान
दर्द पी लूं अगर तू पकङे हाथ
सांस रहने तक रहे तेरा साथ
मैं रहूं ना रहूं,मेरी आस्था बनी रहे
कृष्ण सलोने को कोई छलिया ना कहे
चेतना कौशिक
0 comments:
Post a Comment