मुक्तक~
1222,1222,1222,1222
मिले मुझको अगर दाता,उसे भी छोड़ दूगा मै|
"तेरी"मुस्कान की खातिर,हवायें मोड़ दूगा मैं||
सजा ले हाथ पर अपने,हिना से नाम तू मेरा,
अवारा ना समझ मुझको,किनारा जोड़ दूगा मैं||
जितेन्द्र चौहान "दिव्य"
1222,1222,1222,1222
मिले मुझको अगर दाता,उसे भी छोड़ दूगा मै|
"तेरी"मुस्कान की खातिर,हवायें मोड़ दूगा मैं||
सजा ले हाथ पर अपने,हिना से नाम तू मेरा,
अवारा ना समझ मुझको,किनारा जोड़ दूगा मैं||
जितेन्द्र चौहान "दिव्य"
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