सरकार रोज लाये नई कर,
जनता चुकाते चूकते जा रहा मर।
नेता कैसे समझे आम जन का दर्द,
उसने तो कभी चुकाया नहीं कोई कर।
किसान का नीलाम हो रहा घर,
फिर भी चुका न पा रहा कर।
दो वक्त की रोटी के खातिर किसान,
खा रहा दर दर की ठोकर।
अब शासन पूछती है ये सवाल,
किसान क्यों जा रहा है रोज मर।
रोज बढ़ रहा नए नए कर,
ऐसे में कैसे न जाये किसान मर।।
✍🏾✍🏾सुनील साहू🙏🏾
जनता चुकाते चूकते जा रहा मर।
नेता कैसे समझे आम जन का दर्द,
उसने तो कभी चुकाया नहीं कोई कर।
किसान का नीलाम हो रहा घर,
फिर भी चुका न पा रहा कर।
दो वक्त की रोटी के खातिर किसान,
खा रहा दर दर की ठोकर।
अब शासन पूछती है ये सवाल,
किसान क्यों जा रहा है रोज मर।
रोज बढ़ रहा नए नए कर,
ऐसे में कैसे न जाये किसान मर।।
✍🏾✍🏾सुनील साहू🙏🏾
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