🏵🍃दौरे-ए-गजल🍃🏵
फूल से हाथों में पत्थर देखकर
रो पड़ा मैं ऐसा मन्जर देखकर
मौसमो से मिल के की हैं साजिशें
आँधियो ने मेरा छप्पर देखकर
मेरे चेहरे पर उदासी है बहुत
उसकी यादों का ये लश्कर देखकर
हिचकियों से रो रही थी बस्तियां
नोके नेजा* पे वो इक सर देखकर
ख़ौफ़ सा तारी है "राकेश"
हर तरफ
शहर में बिखरा हुआ डर
देखकर...✍🏻
*भाला
🏵राकेश कुमार मिश्रा🏵
फूल से हाथों में पत्थर देखकर
रो पड़ा मैं ऐसा मन्जर देखकर
मौसमो से मिल के की हैं साजिशें
आँधियो ने मेरा छप्पर देखकर
मेरे चेहरे पर उदासी है बहुत
उसकी यादों का ये लश्कर देखकर
हिचकियों से रो रही थी बस्तियां
नोके नेजा* पे वो इक सर देखकर
ख़ौफ़ सा तारी है "राकेश"
हर तरफ
शहर में बिखरा हुआ डर
देखकर...✍🏻
*भाला
🏵राकेश कुमार मिश्रा🏵
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