इतने काबिश हैं अँधेरे घर में,
रोशनी पूछ-पूछ आती है।
गम के पहरे ही हम पे इतने हैं,
हर खुशी पूछ-पूछ आते हैं।
-शुभम शुक्ल
रोशनी पूछ-पूछ आती है।
गम के पहरे ही हम पे इतने हैं,
हर खुशी पूछ-पूछ आते हैं।
-शुभम शुक्ल
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